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फ़िलिप्पियों 4:8 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

8 ग़रज़, ऐ भाईयो और बहनों! जितनी बातें सच हैं, लाइक़ हैं, मुनासिब हैं, पाक हैं, दिलकश और पसन्दीदा हैं यानी जो अच्छी और क़ाबिले-तारीफ़ हैं, उन ही बातों पर ग़ौर किया करो।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

8 ग़रज़ ऐ भाइयों! जितनी बातें सच हैं, और जितनी बातें शराफ़त की हैं, और जितनी बातें वाजिब हैं, और जितनी बातें पाक हैं, और जितनी बातें पसन्दीदा हैं, और जितनी बातें दिलकश हैं; ग़रज़ जो नेकी और ता 'रीफ़ की बातें हैं, उन पर ग़ौर किया करो।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

8 भाइयो, एक आख़िरी बात, जो कुछ सच्चा है, जो कुछ शरीफ़ है, जो कुछ रास्त है, जो कुछ मुक़द्दस है, जो कुछ पसंदीदा है, जो कुछ उम्दा है, ग़रज़, अगर कोई अख़लाक़ी या क़ाबिले-तारीफ़ बात हो तो उसका ख़याल रखें।

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फ़िलिप्पियों 4:8
67 Iomraidhean Croise  

लिहाज़ा उन्होंने अपने बाज़ शागिर्द और हेरोदियों के सियासी गिरोह के साथ कुछ आदमी हुज़ूर ईसा के पास भेजे। उन्होंने कहा, “ऐ उस्ताद मुहतरम, हम जानते हैं के आप सच बोलते हैं और ये ख़्याल किये बग़ैर के कौन क्या है, रास्ती से ख़ुदा की राह पर चलने की तालीम देते हैं।


इसलिये के हज़रत यहया, हेरोदेस बादशाह की नज़र में एक रास्तबाज़ और पाक आदमी थे। वह उन का बड़ा एहतिराम किया करता था और उन की हिफ़ाज़त करना अपना फ़र्ज़ समझता था, वह हज़रत यहया की बातें सुन कर परेशान तो ज़रूर होता था; लेकिन सुनता शौक़ से था।


उस ने उन से कहा, “तुम वह जो लोगों के सामने अपने आप को बड़े रास्तबाज़ ठहराते लेकिन ख़ुदा तुम्हारे दिलों को जानता है क्यूंके जो चीज़ आदमियों की नज़र में आला है वह ख़ुदा की नज़र में मकरूह है।


उस वक़्त यरूशलेम में एक आदमी था जिस का नाम शमऊन था। वह रास्तबाज़ और ख़ुदा तरस था। वह इस्राईल के तसल्ली पाने की राह देख रहा था और पाक रूह उस पर था।


यूसुफ़ नाम का एक आदमी था, वह यहूदियों की अदालते-आलिया का एक रुक्न था और बड़ा नेक और रास्तबाज़ था,


जो कोई अपनी जानिब से कुछ कहता है वह अपनी इज़्ज़त का भूका होता है लेकिन जो अपने भेजने वाले की इज़्ज़त चाहता है वह सच्चा है और इस में नारास्ती नहीं पाई जाती। तुम क्यूं मुझे हलाक करने पर तुले हुए हो?


आदमियों ने जवाब दिया, “हम कप्तान कुरनेलियुस की जानिब से आये हैं। वह एक रास्तबाज़ और ख़ुदा से डरने वाला आदमी है, जिस की तारीफ़ तमाम यहूदी क़ौम करती है। एक मुक़द्दस फ़रिश्ते ने उन्हें हिदायत की है के आप को अपने घर बुलाकर आप से कलाम की बातें सुने।”


“वहां एक आदमी जिस का नाम हननयाह था मुझे देखने आया। वह दीनदार और शरीअत का सख़्त पाबन्द था और वहां के यहूदियों में बड़ी इज़्ज़त की नज़र से देखा जाता था।


इसलिये ऐ भाईयो और बहनों, अपने में से सात नेकनाम अश्ख़ास को चुन लो जो पाक रूह और दानाई से मामूर हों ताके हम उन्हें इस काम की ज़िम्मेदारी सौंप दें


और दिन की रोशनी के लाइक़ शाइस्ता ज़िन्दगी गुज़ारें जिस में नाच रंग, नशा बाज़ी, जिन्सी बदफ़ेली, शहवत-परस्ती, लड़ाई झगड़े और हसद वग़ैरा न हो।


क्यूंके नेक काम करने वाला हुक्काम से नहीं डरता। लेकिन बुरे काम करने वाला डरता है। अगर तो हाकिम से बेख़ौफ़ रहना चाहते हो तो नेकी किया करो, तब वह तुम्हारी तारीफ़ करेगा।


और जो कोई इस तरह अलमसीह की ख़िदमत करता है उसे ख़ुदा भी पसन्द करता है और वह लोगों में भी मक़्बूल होता है।


बल्के यहूदी वोही है जो बातिन में यहूदी है और ख़तना वोही है जो दिल का और रूहानी है न के शरीअत के वसीले से किया जाता है। ऐसे इन्सान की तारीफ़ आदमियों की जानिब से नहीं बल्के ख़ुदा की जानिब से होती है।


इसलिये जब तक ख़ुदावन्द वापस न आयें, तुम वक़्त से पहले किसी बात का फ़ैसला न करो। जो बातें तारीकी में पोशीदा हैं वह उन्हें रोशनी में ले आयेंगे और लोगों के दिली मन्सूबे ज़ाहिर कर देंगे। उस वक़्त ख़ुदा की तरफ़ से हर एक की तारीफ़ की जायेगी।


हम ख़ुदा से दुआ करते हैं के तुम कभी बदी न करो, इसलिये नहीं के हम कामयाब मालूम हों बल्के इसलिये के तुम भलाई करो ख़्वाह हम नाकाम ही दिखाई दें।


हमारी इज़्ज़त भी की जाती है और बेइज़्ज़ती भी, हम बदनाम हैं और नेकनाम भी, हम सच्चे हैं फिर भी हमें दग़ाबाज़ समझा जाता है;


हम एक मसीही भाई को भी उस के साथ भेज रहे हैं, जिस की ख़ुशख़बरी सुनाने की तारीफ़ तमाम जमाअतों में की जाती है।


हमारा मक़सद तू यह है के हमारी यह तद्बीर ख़ुदावन्द और इन्सान दोनों की नज़र में, भली साबित हो।


मगर पाक रूह का फल, महब्बत, ख़ुशी, इत्मीनान, सब्र, मेहरबानी, नेकी, वफ़ादारी,


पस झूट बोलना छोड़कर हर शख़्स अपने पड़ोसी से सच बोले, क्यूंके हम सब एक ही बदन के आज़ा हैं।


क्यूंके नूर का फल हर तरह की नेकी, रास्तबाज़ी और सच्चाई है।


इस मक़सद के लिये तुम सच्चाई से अपनी कमर कस लो, ख़ुदा की रास्तबाज़ी का बक्-तर पहन लो।


ग़रज़, मेरे भाईयो और बहनों, ख़ुदावन्द में ख़ुश रहो! तुम्हें एक ही बात दुबारा लिखने में मुझे तो कुछ दिक़्क़त नहीं, और तुम्हारी इस में हिफ़ाज़त है।


हर मौक़े को ग़नीमत समझ कर; ग़ैरमसीहीयों के साथ दानिश-मन्दाना सुलूक करो।


ताके ग़ैरमसीही लोग तुम्हारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी को देखकर तुम्हें इज़्ज़त दें और तुम किसी चीज़ के मोहताज न रहो।


बादशाहों और सब बड़े मर्तबा रखने वालों के लिये भी इस ग़रज़ से के हम कमाल दीनदारी और पाकीज़गी से अमन और सलामती के साथ ज़िन्दगी बसर कर सकें।


ठीक इसी तरह ख़्वातीन भी क़ाबिल-ए-एहतिराम, दूसरों पर तोहमत लगाने वाली न हों बल्के होशमंद और हर बात में वफ़ादार हों।


वह अपने घर का बख़ूबी बन्दोबस्त करने वाला और अपने बच्चों को बड़ी संजीदगी के साथ ताबे रखता हो।


कोई भी तेरी जवानी की हक़ारत न करने पाये बल्के तू ईमान लाने वालों के लिये गुफ़्तगू, चाल चलन, महब्बत, ईमान और पाकीज़गी में नमूना बन।


और वो नेक काम करने में मशहूर रही हो, और उस ने अपने बच्चों की तरबियत की हो, परदेसियों की मेहमान-नवाज़ी की हो, मुक़द्दसीन के पांव धोए हों, मुसीबतज़दों की मदद की हो और हर नेक काम करने में मश्ग़ूल रही हो।


और बुज़ुर्ग औरतों को मां और जवान ख़्वातीन को पाकीज़गी से बहन जान कर समझा।


बल्के वह मेहमान-नवाज़, ख़ैर दोस्त, अपने नफ़्स पर क़ाबू रखने वाला, रास्तबाज़, पाक और नज़्म-ओ-ज़ब्त वाला हो।


जिन्होंने अपने आप को हमारी ख़ातिर क़ुर्बान कर दिया ताके हमारा फ़िद्-या होकर हमें हर तरह की बेदीनी से छुड़ा लें और हमें पाक कर के अपने लिये एक ऐसी उम्मत बना लें जो नेक काम करने में सरगर्म रहे।


बुज़ुर्गों मर्दों को सिखा के वह परहेज़गार, क़ाबिल-ए-एहतिराम, अपने नफ़्स पर क़ाबू रखने वाले, ईमान, महब्बत और सब्र में पक्के हों।


तुम सब बातों में अपने आप को नेक कामों के करने में उन के लिये नमूना बन। और तेरी तालीम में ख़ुलूस दिली और संजीदगी हो,


और हमारे लोग भी अच्छे कामों में मश्ग़ूल होना सीखीं ताके दूसरों की फ़ौरी जरूरतों को पूरा कर सकें और बे फल ज़िन्दगी न गुज़ारें।


क़दीम ज़माने के बुज़ुर्गों के ईमान की वजह से ही उन के हक़ में उम्दा गवाही दी गई है।


हमारे वास्ते दुआ करते रहो। हमें यक़ीन है के हमारा ज़मीर साफ़ है और हम हर लिहाज़ से एहतिराम के साथ ज़िन्दगी बसर करना चाहते हैं।


हमारे ख़ुदा बाप की नज़र में हक़ीक़ी और बेऐब दीनदारी ये है के मुसीबत के वक़्त यतीमों और बेवाओं की ख़बर लें और अपने आप को दुनिया से बेदाग़ रखें।


लेकिन जो हिक्मत आसमान से आती है, अव्वल तो वो पाक होती है, फिर सुलह पसन्द, नर्म-दिल, तरबियत पज़ीर, रहम दिल, और अच्छे फलों से लदी हुई बे तरफ़दार और ख़ुलूस दिल होती है।


चूंके तुम ने हक़ की ताबेदारी से अपने आप को पाक किया है जिस से तुम में भाईयों के लिये बेरिया बरादराना महब्बत का जज़बा पैदा हो गया है, इसलिये दिल-ओ-जान से आपस में बेपनाह महब्बत रखो।


और ग़ैरयहूदियों में अपना चाल चलन ऐसा नेक रखो ताके जिन बातों में वो तुम्हें बदकार जान कर तुम्हारी बदगोई करते हैं, वोही तुम्हारे नेक कामों को देखकर उन्हीं के सबब से ख़ुदा के ज़हूर के दिन उस की तम्जीद करें।


सब से अहम बात ये है के आपस में एक दूसरे से गहरी महब्बत रखो, क्यूंके महब्बत बहुत से गुनाहों पर पर्दा डाल देती है।


ऐ अज़ीज़ो! अब मैं तुम्हें ये दूसरा ख़त लिख रहा हूं। मैंने दोनों ख़ुतूत मैं तुम्हारी याददाश्त को ताज़ा करने और तुम्हारे साफ़ दिलों की हौसला-अफ़ज़ाई करने की कोशिश की है।


ऐ अज़ीज़ फ़र्ज़न्दों! हम महज़ कलाम और ज़बान ही से नहीं बल्के हक़ीक़ी तौर से और अपने अमल से भी महब्बत का इज़हार करें।


और जो कोई हुज़ूर ईसा में ये उम्मीद रखता है वो अपने आप को वैसा ही पाक रखता है, जैसा वो पाक है।


ऐ अज़ीज़ दोस्तों! तुम हर एक रूह का यक़ीन मत करो बल्के रूहों को आज़माओ के वो ख़ुदा की तरफ़ से हैं या नहीं। क्यूंके बहुत से झूटे नबी दुनिया में निकल चुके हैं।


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