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- Sanasan -




गलतियों 4:3 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

3 इसी तरह हम भी जब बच्चे थे तो दुनियवी इब्तिदाई बातों के ग़ुलाम होकर ज़िन्दगी बसर करते थे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

3 इसी तरह हम भी जब बच्चे थे, तो दुनियावी इब्तिदाई बातों के पाबन्द होकर ग़ुलामी की हालत में रहे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

3 इसी तरह हम भी जब बच्चे थे दुनिया की कुव्वतों के ग़ुलाम थे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




गलतियों 4:3
20 Iomraidhean Croise  

“ऐ मेहनत कशो और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ और मैं तुम्हें आराम बख़्शूंगा।


हुज़ूर ईसा ने इन यहूदियों से जो आप पर ईमान लाये थे कहा, “अगर तुम मेरी तालीम पर क़ाइम रहोगे, तो हक़ीक़त में मेरे शागिर्द होगे।


तो अब तुम ख़ुदा को आज़माने के लिये मसीही शागिर्दों की गर्दन पर ऐसा जूआ क्यूं रखते हो जिसे हम ही उठा सके और न हमारे आबा-ओ-अज्दाद बर्दाश्त कर सके?


हम जानते हैं के शरीअत एक रूहानी चीज़ है लेकिन में जिस्मानी हूं और गोया गुनाह की ग़ुलामी में बिका हुआ हूं।


क्यूंके तुम्हें वह रूह नहीं मिली जो तुम्हें फिर से ख़ौफ़ का ग़ुलाम बना दे बल्के फ़र्ज़न्दियत की रूह मिली है जिस के वसीले से हम “अब्बा, ऐ बाप कह कर पुकारते हैं।”


दर-हक़ीक़त, अगर कोई तुम्हें ग़ुलाम बनाता है या तुम्हें लूटता है, या तुम्हें फ़रेब देता है या तुम पर रोब जमाता है, और थप्पड़ रसीद करता है तो तुम यह भी बर्दाश्त कर लेते हो।


ख़तना का सवाल उन मसीही मुनाफ़क़ीन की तरफ़ से उठाया गया था, जो चुपके से हम लोगों में दाख़िल हो गये थे ताके अलमसीह ईसा में हासिल हुई उस आज़ादी की जासूसी कर के, हमें फिर से यहूदी रस्म-ओ-रिवाज का ग़ुलाम बना दें।


फिर शरीअत क्यूं दी गई? वह इन्सान की नाफ़रमानियों की वजह से बाद में दी गई ताके उस नस्ल के आने तक क़ाइम रहे जिस से वादा किया गया था। और वह फ़रिश्तों के वसीले से एक दरमियानी शख़्स की मारिफ़त मुक़र्रर की गई।


और वह बाप की मुक़र्रर की हुई मीआद के पूरा होने तक सरपरस्तों और मुख़्तारों के इख़्तियार में रहता है।


यह बातें तम्सील के तौर पर हैं। इसलिये यह औरतें गोया दो अह्द हैं। हाजिरा उस अह्द की मिसाल है जो कोहे सीना पर बांधा गया और जिस से ग़ुलाम ही पैदा होते हैं।


और वह हाजिरा, अरब के कोहे सीना की मानिन्द है जिस का मुक़ाबला मौजूदा यरूशलेम से किया जा सकता है, जो अपने लड़कों यानी बाशिन्दों समेत ग़ुलामी में है।


चुनांचे, मेरे भाईयो और बहनों, हम लौंडी के बेटे नहीं बल्के आज़ाद के हैं।


हुज़ूर ईसा पर ईमान लाने से पहले तुम ख़ुदा से वाक़िफ़ न होने की वजह से ऐसे माबूदों के ग़ुलाम बने हुए थे जो हक़ीक़ी माबूद नहीं।


मगर अब जब के तुम ने ख़ुदा को पहचान लिया है बल्के ख़ुदा ने तुम्हें पहचान है तो तुम क्यूं उन ज़ईफ़ और फ़ुज़ूल इब्तिदाई बातों की तरफ़ लौट रहे हो? क्या फिर से उन की ग़ुलामी में ज़िन्दगी गुज़ारना चाहते हो?


जब तुम अलमसीह के साथ इस दुनिया की रूहानी क़ुव्वतों के लिये, मर चुके हो तो अब दुनियादारों की तरह, ज़िन्दगी क्यूं गुज़ारते हो? गोया तुम अभी भी दुनिया के अहकाम के ताबे हो मसलन:


ख़बरदार, कोई शख़्स तुम्हें उन फ़ल्सफ़ियाना और पुर फ़रेब ख़्यालात का शिकार न बनाने पाये, जिन की बुनियाद अलमसीह पर नहीं बल्के इन्सानी रिवायतों और दुनियवी इब्तिदाई बातों पर है।


दरअस्ल अब तक वक़्त के ख़्याल से तो तुम्हें उस्ताद हो जाना चाहिये था लेकिन अब ज़रूरत तो इस बात की है के कोई शख़्स ख़ुदा के कलाम की बुनियादी बातें तुम्हें फिर से सिखाए। और सख़्त ग़िज़ा की बजाय तुम्हें तो दूध पीने की ज़रूरत पड़ है।


जो अपने जिस्मानी अहकाम की शरीअत की बिना पर नहीं बल्के ग़ैरफ़ानी ज़िन्दगी की क़ुव्वत के मुताबिक़ काहिन मुक़र्रर हुआ।


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