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- Sanasan -




2 तीमु 1:12 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

12 इसी वजह से मैं दुख उठा रहा हू्ं और दुख उठाने से शर्मिन्दा नहीं हू्ं, क्यूंके जिस पर मैंने यक़ीन किया है, उसे जानता हूं और मुझे पूरा यक़ीन है के वो मेरी अमानत को अदालत के दिन तक महफ़ूज़ रखने के क़ाबिल है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

12 इसी वजह से मैं ये दु:ख भी उठाता हूँ, लेकिन शर्माता नहीं क्यूँकि जिसका मैं ने यक़ीन किया है उसे जानता हूँ और मुझे यक़ीन है कि वो मेरी अमानत की उस दिन तक हिफ़ाज़त कर सकता है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

12 इसी वजह से मैं दुख उठा रहा हूँ। तो भी मैं शर्माता नहीं, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ जिस पर में ईमान लाया हूँ, और मुझे पूरा यक़ीन है कि जो कुछ मैंने उसके हवाले कर दिया है उसे वह अपनी आमद के दिन तक महफ़ूज़ रखने के क़ाबिल है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




2 तीमु 1:12
58 Iomraidhean Croise  

और ग़ैरयहूदियों की उम्मीद उस के नाम में होगी।”


“मगर वो दिन और वक़्त कब आयेगा कोई नहीं जानता, न तो आसमान के फ़रिश्ते जानते हैं, न बेटा, मगर सिर्फ़ बाप ही जानते हैं।


उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘ऐ ख़ुदावन्द! ऐ ख़ुदावन्द! क्या हम ने आप के नाम से नुबुव्वत नहीं की? और आप के नाम से बदरूहों को नहीं निकाला और आप के नाम से बहुत से मोजिज़े नहीं दिखाये?’


मैं तुम से कहता हूं के, इन्साफ़ के दिन सदूम का हाल उस शहर के हाल से ज़्यादा क़ाबिल-ए-बर्दाश्त होगा।


और हुज़ूर ईसा ने ऊंची आवाज़ से पुकार कर कहा, “ऐ बाप! मैं अपनी जान तुम्हारे हाथों में सौंपता हूं” और ये कह कर दम तोड़ दिया।


मेरी मिन्नत ये नहीं के बाप उन्हें दुनिया से उठा ले बल्के ये है के उन्हें शैतान से महफ़ूज़ रखे।


मेरे पास कोई नहीं आ सकता जब तक के बाप जिस ने मुझे भेजा है उसे खींच न लाये, और मैं उसे आख़िरी दिन फिर उसे ज़िन्दा कर दूंगा।


लिहाज़ा पौलुस और बरनबास ने दिलेरी से उन्हें जवाब में फ़रमाया: “लाज़िम था के हम पहले तुम्हें ख़ुदा का कलाम सुनाते। जब के तुम उसे मुस्तरद कर रहे हो और अपने आप को अब्दी ज़िन्दगी के लाइक़ नहीं समझते हो, तो देखो हम ग़ैरयहूदियों की तरफ़ रुजू करते हैं।


लेकिन यहूदी रहनुमाओं ने बाज़ ख़ुदा की अक़ीदतमन्द औरतों और शहर के दबदबे वाले मर्दों को उकसाया और उन्होंने पौलुस और बरनबास के ख़िलाफ़ ज़ुल्म-ओ-सितम बरपा किया, और उन्हें अपनी रियासत से बेदख़ल कर दिया।


लेकिन पौलुस ने जवाब दिया, “तुम ये क्या कर रहे हो? क्यूं रो-रो कर मेरा दिल तोड़ते हो? मैं यरूशलेम में ख़ुदावन्द ईसा के नाम की ख़ातिर सिर्फ़ बांधे जाने के लिये ही नहीं बल्के मरने को भी तय्यार हूं।”


जब वह इस्तिफ़नुस पर पत्थर बरसा रहे थे तो आप ये दुआ कर रहे थे, “ऐ ख़ुदावन्द ईसा, मेरी रूह को क़बूल फ़रमा।”


मैं उसे जता दूंगा के मेरे नाम की ख़ातिर उसे किस क़दर दुख उठाना पड़ेगा।”


मैं इन्जील से नहीं शरमाता क्यूंके वह हर ईमान लाने वाले की नजात के लिये ख़ुदा की क़ुदरत है। पहले यहूदी के लिये फिर ग़ैरयहूदी के लिये।


जैसा के किताब-ए-मुक़द्दस में लिख्खा है: “देखो, मैं सिय्यून में एक ठेस लगने का पत्थर रखता हूं जिस से लोग ठोकर खायेंगे और एक ठोकर खाने की चट्टान जो उन के गिरने का बाइस होगी, मगर जो कोई उस पर ईमान लायेगा वह कभी शर्मिन्दा न होगा।”


वोही तुम्हें आख़िर तक मज़बूती से क़ाइम रखेंगे ताके तुम हमारे ख़ुदावन्द ईसा अलमसीह के ज़ाहिर होने के दिन बेइल्ज़ाम ठहरो।


तो इन्साफ़ के दिन उस का काम साफ़ ज़ाहिर हो जायेगा। क्यूंके वह दिन आग के साथ आयेगा, और आग अपने आप हर एक का काम आज़मा लेगी के कैसा है।


मेरी दिली ख़ाहिश और उम्मीद यह है के मुझे किसी बात में भी शर्मिन्दगी का मुंह न देखना पड़े, बल्के जैसे मैं बड़ी दिलेरी से जिस्म से हमेशा अलमसीह का जलाल ज़ाहिर करता रहा हूं वैसे ही करता रहूंगा, ख़्वाह मैं ज़िन्दा रहूं या मर जाऊं।


मैं यही चाहता हूं के अलमसीह को और उन के जी उठने की क़ुदरत को जानूं, अलमसीह के साथ दुखों में शरीक होने का तजुर्बा हासिल करूं, और अलमसीह की मौत से मुशाबहत पैदा कर लूं,


अलमसीह अपनी क़ुव्वत से सारी चीज़ों को अपने ताबे कर सकते हैं, इसी क़ुव्वत की तासीर से वह हमारे फ़ानी बदन की शक्ल को बदल कर उसे अपने की तरह जलाली बदन की मानिन्द बना देंगे।


बल्के मैं अपने ख़ुदावन्द अलमसीह ईसा की पहचान की अपनी बड़ी ख़ूबी समझता हूं, जिन की ख़ातिर मैंने दूसरी तमाम चीज़ों का नुक़्सान उठाया। और उन चीज़ों को कूड़ा समझता हूं, ताके अलमसीह को हासिल कर लूं


क्यूंके वह हमें ग़ैरयहूदियों को ख़ुदा का कलाम सुनाने से रोकते थे ताके उन में कोई नजात न पा सके। और ऐसा कर के वो अपने गुनाहों का पैमाना हमेशा भरते रहे। लेकिन आख़िरकार ख़ुदा के क़हर ने उन पर आ गया।


लेकिन ऐ भाईयो और बहनों! तुम तारीकी में न रहो के वह दिन चोर की मानिन्द अचानक तुम पर आ जाये और तुम्हें हैरत में डाल दे।


ऐ तिमुथियुस, इस अमानत को जो तेरे सुपुर्द की गई है हिफ़ाज़त से रख। और जिस चीज़ को इल्म कहना ही ग़लत है उस पर तवज्जोह न कर क्यूंके उस में बेहूदा बातें और इख़्तिलाफ़ात पाये जाते हैं,


और पाक रूह की मदद से जो हम में बसा हुआ है उस अमानत को संभाल कर रख जो तेरे सुपुर्द की गई है।


ओनेसिफुरस के घराने पर ख़ुदावन्द की रहमत हो क्यूंके उस ने कई दफ़ा मुझे ताज़ा दम किया और मेरी क़ैद की ज़न्जीरों से शर्मिन्दा न हुआ।


ख़ुदावन्द क़ियामत के दिन उस पर रहम करे! तुझे ख़ूब मालूम है के ओनेसिफुरस ने इफ़िसुस शहर में मेरे लिये क्या-क्या ख़िदमतें अन्जाम दीं।


पस तू हमारे ख़ुदावन्द की गवाही देने से और मुझ से जो उस का क़ैदी हूं शरम न कर बल्के जैसे मैं ख़ुशख़बरी की ख़ातिर दुख उठाता हूं, वैसे तू भी ख़ुदा की दी हुई क़ुदरत के मुताबिक़ इन्जील की ख़ातिर मेरे साथ दुख उठा।


इसी ख़ुशख़बरी के लिये मैं मुजरिम की तरह दुख उठाता और ज़न्जीरों से जकड़ा हुआ हूं। लेकिन ख़ुदा का कलाम क़ैद नहीं है।


मुस्तक़बिल में मेरे लिये रास्तबाज़ी का वो ताज रख्खा हुआ है, जो आदिल और मुन्सिफ़ ख़ुदावन्द मुझे अपने दुबारा आमद के दिन अता फ़रमायेगा। और न सिर्फ़ मुझे बल्के उन सब को भी जो ख़ुदावन्द की आमद के आरज़ूमन्द हैं।


ये बात क़ाबिल-ए-यक़ीन है और मैं चाहता हूं के तुम इन बातों को बड़े यक़ीनी तौर से तालीम दो ताके ख़ुदा पर ईमान लाने वाले नेक कामों में मश्ग़ूल रहने पर ग़ौर करें। ये बातें अच्छी और इन्सानों के लिये मुफ़ीद हैं।


आओ! हम ईमान के बानी और कामिल करने वाले हुज़ूर ईसा पर अपनी नज़रें जमाए रखें जिस ने उस ख़ुशी के लिये जो उन की नज़रों के सामने थी, शर्मिन्दगी की पर्वा न की बल्के सलीब का दुख सहा और ख़ुदा की दाहिनी तरफ़ तख़्त-नशीन हैं।


चुनांचे हुज़ूर ईसा ने ख़ुद अपनी आज़माइश के दौरान दुख उठाये थे इसलिये वो उन की भी मदद कर सकते हैं जिन की आज़माइश होती है।


पस जो लोग हुज़ूर ईसा के वसीले से ख़ुदा के पास आते हैं वह उन्हें मुकम्मल तौर से नजात दे सकते हैं क्यूंके वह उन की शफ़ाअत करने के लिये हमेशा ज़िन्दा हैं।


जो तुम्हारे ईमान के वसीले से और ख़ुदा की क़ुदरत से इस नजात के लिये महफ़ूज़ है जो इन आख़री वक़्त में ज़ाहिर होने वाली है।


लेकिन अगर कोई मसीही होने की वजह से दुख उठाये तो शर्मिन्दा न हो बल्के ख़ुदा की तम्जीद करे के वो मसीही कहलाता है।


पस जो लोग ख़ुदा की मर्ज़ी के मुवाफ़िक़ दुख और तकलीफ़ उठाते हैं, वो नेकी करते हुए अपने आप को वफ़ादार ख़ालिक़ के हाथों में सुपुर्द कर दें।


अब जो तुम्हें ठोकर खाने से बचा सकता है और अपनी पुर जलाली हुज़ूरी में बड़ी ख़ुशी के साथ बेऐब बना कर पेश कर सकता है।


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