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- Sanasan -




1 तीमु 3:15 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

15 ताके अगर मुझे आने में देर हो जाये तो, तुझे मालूम हो के ख़ुदा के घर में, यानी ज़िन्दा ख़ुदा की जमाअत में जो हक़ का सुतून और बुनियाद है, लोगों को इस के साथ किस तरह पेश आना चाहिये।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

15 कि अगर मुझे आने में देर हो, तो तुझे मा'लूम हो जाए कि ख़ुदा के घर, या'नी ज़िन्दा ख़ुदा की कलीसिया में जो हक़ का सुतून और बुनियाद है, कैसा बर्ताव करना चाहिए।

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किताब-ए मुक़द्दस

15 लेकिन अगर देर भी लगे तो यह पढ़कर आपको मालूम होगा कि अल्लाह के घराने में हमारा बरताव कैसा होना चाहिए। अल्लाह का घराना क्या है? ज़िंदा ख़ुदा की जमात, जो सच्चाई का सतून और बुनियाद है।

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1 तीमु 3:15
55 Iomraidhean Croise  

शमऊन पतरस ने जवाब दिया, “आप ज़िन्दा ख़ुदा के बेटे अलमसीह हैं।”


“मैं तुम से सच कहता हूं, और जो कुछ तुम ज़मीन पर बांधोगे वह आसमान पर बांधा जायेगा और जो कुछ तुम ज़मीन पर खोलोगे वह आसमान पर खोला जायेगा।


क्यूंके शरीअत तो हज़रत मूसा की मारिफ़त दी गई; मगर फ़ज़ल और सच्चाई की बख़्शिश हुज़ूर ईसा अलमसीह की मारिफ़त मिली।


हुज़ूर ईसा ने जवाब में फ़रमाया, “राह और हक़ और ज़िन्दगी मैं ही हूं। मेरे वसीले के बग़ैर कोई बाप के पास नहीं आता।


पस पीलातुस ने कहा, “तो क्या आप एक बादशाह हैं।” हुज़ूर ईसा ने जवाब दिया, “ये तो आप का कहना है के मैं एक बादशाह हूं। दरअस्ल, में इसलिये पैदा हुआ और इस मक़सद से दुनिया में आया के हक़ की गवाही दूं। हर कोई जो हक़ की तरफ़ है मेरी बात सुनता है।”


हम ईमान लाये और जानते हैं के आप ही ख़ुदा के क़ुददूस हैं।”


उस दिन तक जिस में हुज़ूर ईसा ने अपने मुन्तख़ब रसूलों को पाक रूह के वसीले से कुछ हिदायात भी अता करने के बाद ऊपर आसमान पर उठाये गये।


“अज़ीज़ों, तुम ये क्या कर रहे हो? हम भी तुम्हारी ही तरह, फ़क़त इन्सान ही हैं। हम तुम्हारे वास्ते ख़ुशख़बरी लाये हैं, ताके तुम इन फ़ुज़ूल चीज़ों को छोड़कर ज़िन्दा ख़ुदा की तरफ़ रुजू करो जिस ने आसमानों और ज़मीन और समुन्दर को और जो कुछ उन में मौजूद हर चीज़ को पैदा किया है।


बहुत है और हर लिहाज़ से है। ख़ुसूसन ये के ख़ुदा का कलाम उन के सुपुर्द किया गया।


और, “जिस जगह उन से ये कहा गया था, ‘तुम मेरी उम्मत नहीं हो,’ उसी जगह उन्हें ‘ज़िन्दा ख़ुदा के फ़र्ज़न्द कहा जायेगा।’ ”


तुम दूसरों के लिये ठोकर का बाइस न बनो, ख़्वाह वह यहूदी या यूनानी या वह ख़ुदा की जमाअत के लोग हों।


क्या तुम नहीं जानते के तुम ख़ुदा का मक़्दिस हो और ख़ुदा का पाक रूह तुम में बसा हुआ है?


ज़ाहिर है के तुम वह ख़त हो जिसे हम ने अलमसीह के ख़ादिमो की हैसियत से तहरीर किया है, यह ख़त रौशनाई से नहीं, बल्के ज़िन्दा ख़ुदा के पाक रूह के ज़रीये पत्थर की तख़्तियों पर नहीं बल्के इन्सानी जिस्म के दिलों की तख़्तियों पर लिख्खा गया है।


ख़ुदा के मक़्दिस को बुतों से किया मुनासबत? ज़िन्दा ख़ुदा का मक़्दिस तो हम हैं जैसा के ख़ुदा ने फ़रमाया है: “मैं उन में बसूंगा और उन के दरमियान चला फिरा करूंगा। मैं उन का ख़ुदा होंगा और वह मेरी उम्मत होंगे।”


कलाम हक़ से, ख़ुदा की क़ुदरत से; रास्तबाज़ी के हथियारों के वसीले से जो हमारे दाएं और बाएं हैं;


वहां याक़ूब, कैफ़ा और यूहन्ना जमाअत के सुतून समझे जाते थे, जब उन पर यह हक़ीक़त खुली के ख़ुदा ने मुझे भी रिसालत की तौफ़ीक़ अता फ़रमाई है तो उन्होंने मुझ से और बरनबास से दायां हाथ मिला कर हमें अपनी रिफ़ाक़त में क़बूल कर लिया। ताके हम ग़ैरयहूदियों में ख़िदमत करें, और वो मख़्तूनों में।


नादान गलतियो! तुम पर किस ने जादू कर दिया? तुम्हारी तो गोया आंखों के सामने ख़ुदावन्द ईसा अलमसीह को सलीब पर टंगा दिखाया गया था।


लेकिन तुम ने तो अलमसीह के बारे में सुना है और ईमान लाकर उस हक़ की तालीम पाई है, जो ख़ुदावन्द ईसा में है,


तुम्हारा यह ईमान और महब्बत उस चीज़ की उम्मीद के सबब से है जो तुम्हारे लिये आसमान पर जमा कर के रख्खी हुई है और जिस का ज़िक्र तुम ने पहले ही उस इन्जील के बरहक़ कलाम में सुना था


क्यूंके ये सारी बातें ख़ुद ही बयान करती हैं के जब हम तुम्हारे यहां तशरीफ़ लाये तो तुम ने किस तरह हमारा इस्तिक़्बाल किया। और किस तरह बुतों की परस्तिश छोड़कर सच्चे और ज़िन्दा ख़ुदा की इबादत करने के लिये रुजू हुए।


मैं तेरे पास जल्द ही आने की उम्मीद कर रहा हूं, फिर भी तुझे यह बातें लिख रहा हूं,


इस में कोई शक नहीं के हक़ीक़ी दीनदारी का सरचश्मा अज़ीम है यानी: वह जो जिस्म में ज़ाहिर हुए, और पाक रूह के वसीले सादिक़ ठहरे, और फ़रिश्तों को दिखाई दिये, ग़ैरयहूदियों में उन की मुनादी हुई, और सारी दुनिया में लोग उन पर ईमान लाये, और ख़ुदा ने हुज़ूर ईसा को अपने साथ रहने के लिये जलाल में आसमान पर उठा लिया।


लिहाज़ा निगहबान को चाहिये के वह बेइल्ज़ाम, एक बीवी का शौहर, परहेज़गार, ख़ुद पर क़ाबू रखने वाला, क़ाबिल-ए-एहतिराम, मुसाफ़िर परवर और तालीम देने के क़ाबिल हो।


क्यूंके अगर कोई अपने ही घर का बन्दोबस्त करना नहीं जानता, तो वह ख़ुदा की जमाअत की ख़बरगीरी कैसे करेगा?


इसलिये हम सख़्त मेहनत और कोशिश करते हैं क्यूंके हम ने अपनी उम्मीद उस ज़िन्दा ख़ुदा पर लगा रख्खी है जो सब इन्सानों का मुनज्जी, ख़ासकर उन का जो मोमिनीन हैं।


बक़ा सिर्फ़ उसी की है और ऐसे नूर में रहता है जिस के क़रीब कोई नहीं पहुंच सकता, उसे किसी इन्सान ने नहीं देखा है और न देख सकता है। उस की इज़्ज़त और क़ुदरत अब्दुल-आबाद रहे। आमीन।


तो भी ख़ुदा की मज़बूत बुनियाद क़ाइम रहती है और उस पर इन अल्फ़ाज़ की मुहर लगी हुई है: “ख़ुदावन्द अपनों को पहचानते हैं,” और “जो कोई ख़ुदावन्द का नाम लेता है वह नारास्ती से बाज़ रहे।”


एक दौलतमन्द घराने में न सिर्फ़ सोने चांदी के बर्तन होते हैं, बल्के, लकड़ी और मिट्टी के भी होते हैं; बाज़ ख़ास-ख़ास मौक़ों के लिये और बाज़ रोज़ाना इस्तिमाल के लिये।


और हमारा एक ऐसा अज़ीम काहिन है जो ख़ुदा के घर का मुख़्तार है,


लेकिन तुम कोहे सिय्यून और ज़िन्दा ख़ुदा के शहर यानी आसमानी यरूशलेम और बेशुमार फ़रिश्तों और जश्न मनाने वाली जमाअत के पास आये हो।


ऐ भाईयो और बहनों, ख़बरदार! तुम में से किसी का ऐसा बुरा और बेएतक़ाद दिल न हो, जो ज़िन्दा ख़ुदा से बर्गश्तः हो जाये।


तो अलमसीह का ख़ून जिस ने अपने आप को अज़ली रूह के वसीले से ख़ुदा के सामने बेऐब क़ुर्बान कर दिया, तो उस का ख़ून हमारे ज़मीर को ऐसे कामों से और भी ज़्यादा पाक करेगा जिन का अन्जाम मौत है ताके हम ज़िन्दा ख़ुदा की ख़िदमत करें।


और तुम भी ज़िन्दा पत्थरों की मानिन्द हो जो पाक रूह का मक़्दिस बनते जा रहे हो, ताके तुम काहिनों का मुक़द्दस फ़िर्क़ा बन कर ऐसी रूहानी क़ुर्बानियां पेश करो जो हुज़ूर ईसा अलमसीह के वसीले से ख़ुदा के हुज़ूर में मक़्बूल होती हैं।


क्यूंके वो वक़्त आ पहुंचा है के ख़ुदा के घर से ही अदालत शुरू हो, और जब उस की इब्तिदा हम ही से होगी तो उन का अन्जाम क्या होगा जो ख़ुदा की ख़ुशख़बरी को नहीं मानते हैं?


फिर मैंने एक और फ़रिश्ते को ज़िन्दा ख़ुदा की मुहर लिये हुए मशरिक़ से ऊपर की तरफ़ आते देखा। उस ने उन चारों फ़रिश्तों से जिन्हें ज़मीन और समुन्दर को नुक़्सान पहुंचाने का इख़्तियार दिया गया था बुलन्द आवाज़ से पुकार कर कहा,


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