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- Sanasan -




1 थिस्स 5:6 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

6 लिहाज़ा हम दूसरों की तरह सोते न रहें बल्के जागते और होशयार रहें।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

6 पस, औरों की तरह सोते न रहो, बल्कि जागते और होशियार रहो।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

6 ग़रज़ आएँ, हम दूसरों की मानिंद न हों जो सोए हुए हैं बल्कि जागते रहें, होशमंद रहें।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




1 थिस्स 5:6
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लेकिन जब लोग सो रहे थे तो उस का दुश्मन आया और गेहूं में ज़हरीली बूटीयों का बीज बो गया।


“पस जागते रहो क्यूंके तुम नहीं जानते के तुम्हारा ख़ुदावन्द किस दिन आयेगा।


“लिहाज़ा जागते रहो, क्यूंके तुम नहीं जानते के वो दिन को न उस घड़ी को।


और जब दुल्हा के आने में देर हो गई तो वह सब की सब ऊंघते-ऊंघते सो गईं।


और उन से फ़रमाया, “ग़म की शिद्दत से मेरी जान निकली जा रही है। तुम यहां ठहरो और मेरे साथ जागते रहो।”


मैं जो कुछ तुम से कहता हूं, वोही सब से कहता हूं: ‘जागते रहो!’ ”


वह सभी ख़ादिम मुबारक हैं जिन्हें उन का मालिक अपनी वापसी पर जागता हुआ चौकस पाये। मैं तुम से सच कहता हूं के वह मालिक ख़ुद कमर-बस्ता होकर उन्हें दस्तरख़्वान पर बिठाएगा और पास आकर उन की ख़िदमत करेगा।


लेकिन याद रखो के अगर घर के मालिक को मालूम हो ताके चोर किस घड़ी आयेगा तो वह अपने घर में नक़ब न लगने देता।


पस हर वक़्त चौकस रहो और दुआ में लगे रहो ताके तुम इन सब बातों से जो होने वाली हैं, बच कर इब्न-ए-आदम के हुज़ूर में खड़े होने के लाइक़ ठहरो।”


और उन से पूछा, “तुम क्यूं सो रहे? उठ कर दुआ करो ताके तुम आज़माइश में न पड़ो।”


लिहाज़ा ख़बरदार रहो! याद रखो के मैं तीन बरस तक रात दिन आंसुओं बहा-बहा कर हर एक को इन ख़तरों से आगाह करता रहा हूं।


रास्तबाज़ होने के लिये होश में आओ और गुनाह न करो क्यूंके कितने शरम की बात है के तुम में बाज़ अभी तक ख़ुदा से नाआश्ना हैं।


जागते रहो; अपने ईमान पर क़ाइम रहो, बहादुर बनो; और मज़बूत होते जाओ।


कभी हम भी उन में शामिल थे, और नफ़्सानी ख़ाहिशों में ज़िन्दगी गुज़ारते थे और दिल-ओ-दिमाग़ की हर रविश को पूरा करने में लगे रहते थे। और तब्ई तौर पर दूसरे इन्सानों की तरह ख़ुदा के ग़ज़ब के मातहत थे।


इसीलिये कहा गया है: “ऐ सोने वाले जागो, और मुर्दों में से जी उठो, तो अलमसीह का नूर तुम पर चमकेगा।”


पाक रूह की हिदायत से हर वक़्त मिन्नत और दुआ करते रहो और इस ग़रज़ से जागते रहो, ताके सब मुक़द्दसीन के लिये बिला नाग़ा दुआ कर सको।


तुम्हारी नर्म मिज़ाजी सब लोगों पर ज़ाहिर हो। ख़ुदावन्द जल्द वापस लौटने वाले हैं।


मुहतात होकर शुक्र गुज़ारी के साथ दुआ करने में मश्ग़ूल रहो।


भाईयो और बहनों! हम नहीं चाहते के तुम उन के हाल से नावाक़िफ़ रहो जो मौत की नींद सो चुके हैं ताके तुम बाक़ी इन्सानों की मानिन्द ग़म न करो जिन के पास कोई उम्मीद ही नहीं।


और हुज़ूर ईसा अलमसीह ने हमारी ख़ातिर इसलिये जान दी के ख़्वाह हम ज़िन्दा हों या मुर्दा, हम सब मिल कर हुज़ूर ईसा के साथ ही जियें।


चूंके हम दिन के हैं इसलिये हम ईमान और महब्बत का बकतर लगा कर और नजात की उम्मीद का ख़ोद यानी टोपी पहन कर होशयार रहें।


लेकिन ख़्वातीन औलाद पैदा करने से नजात पाएंगी बशर्ते के वो ईमान, महब्बत, पाकीज़गी और परहेज़गारी के साथ ज़िन्दगी गुज़ारें।


इसी तरह मैं चाहता हूं के ख़्वातीन भी हयादार लिबास पहन कर अपने आप को शराफ़त और शाइस्तगी से आरास्ता करें न के बाल गूंधने, सोने या मोतीयों के जे़वरात, या बेहद क़ीमती लिबास से,


ठीक इसी तरह ख़्वातीन भी क़ाबिल-ए-एहतिराम, दूसरों पर तोहमत लगाने वाली न हों बल्के होशमंद और हर बात में वफ़ादार हों।


लिहाज़ा निगहबान को चाहिये के वह बेइल्ज़ाम, एक बीवी का शौहर, परहेज़गार, ख़ुद पर क़ाबू रखने वाला, क़ाबिल-ए-एहतिराम, मुसाफ़िर परवर और तालीम देने के क़ाबिल हो।


मगर तू हर हालत में होशयार रह, दुख उठा, मुबश्-शिर का काम अन्जाम दे और अपनी ख़िदमत को पूरा कर।


वह फ़ज़ल हमें तरबियत देता है के हम बेदीनी और दुनियवी ख़ाहिशों को छोड़कर इस दुनिया में परहेज़गारी, सदाक़त और दीनदारी के साथ ज़िन्दगी गुज़ारें,


ठीक इसी तरह नौजवानों को भी नसीहत कर के वह अपने नफ़्स पर क़ाबू रखें।


इसलिये अपनी अक़्ल से काम लो और होशयार रह कर, मुकम्मल संजीदगी से ज़िन्दगी गुज़ारो और उस फ़ज़ल पर पूरी उम्मीद रखो जो तुम्हें हुज़ूर ईसा अलमसीह के ज़ाहिर होने के वक़्त मिलने वाला है।


दुनिया के ख़ातिमा का वक़्त नज़दीक आ गया है। इसलिये होशयार रहो, और सरगर्म होकर ख़ूब दुआ करो।


होशयार और ख़बरदार रहो क्यूंके तुम्हारा दुश्मन इब्लीस धाड़ते हुए शेर बब्बर की मानिन्द ढूंडता फिरता है के किस को फाड़ खाये।


“देखो, मैं चोर की मानिन्द अचानक आ रहा हूं। मुबारक है वो जो जागता रहता है और अपनी पोशाक पहने रहता है ताके उसे लोगों के सामने नंगा होना न पड़े और लोग उस की बरहंगी न देखें।”


इसलिये बेदार हो जाओ! और जो कुछ बाक़ी बचा हुआ है और ख़त्म होने ही वाला है उसे मज़बूती से क़ाइम कर क्यूंके मैंने तुम्हारे कामों को अपने ख़ुदा की नज़र में कामिल नहीं पाया है।


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