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- Sanasan -




1 थिस्स 5:11 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

11 इसलिये तुम एक दूसरे की हौसला अफ़्ज़ाई करो और तरक़्क़ी का बाइस बनो, जैसा के तुम कर रहे हो।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

11 पस, तुम एक दूसरे को तसल्ली दो और एक दूसरे की तरक़्क़ी की वजह बनो चुनाँचे तुम ऐसा करते भी हो।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

11 इसलिए एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई और तामीर करते रहें, जैसा कि आप कर भी रहे हैं।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




1 थिस्स 5:11
18 Iomraidhean Croise  

आओ हम इन बातों की जुस्तुजू में रहें जो अमन और बाहमी तरक़्क़ी का बाइस होती हैं।


ऐ मेरे भाईयो और बहनो! मुझे तुम्हारे बारे में यक़ीन है के तुम ख़ुद भी नेकी से मामूर हो और इल्म भी बहुत ज़्यादा रखते हो और एक दूसरे को नसीहत करने के क़ाबिल भी हो।


हम में से हर शख़्स अपने पड़ोसी के फ़ायदा और ईमान में तरक़्क़ी का लिहाज़ रखते हुए उसे ख़ुश करे।


“हर चीज़ के जायज़ होने का यह मतलब नहीं, हर चीज़ मुफ़ीद है। हर चीज़ जायज़ हो तो भी वह तरक़्क़ी का बाइस नहीं होती।”


इसी तरह जब तुम रूहानी नेमतों के पाने की आरज़ू करो तो कोशिश करो के तुम्हारी रूहानी नेमतों के इज़ाफ़ा से जमाअत की तरक़्क़ी हो।


नबियों में से दो या तीन कलाम करें और बाक़ी उन के कलाम को परखें।


अगरचे मेरी ये ख़ाहिश है के तुम सब के सब अजनबी ज़बानों में कलाम करो लेकिन इस से ज़्यादा बेहतर ये है के तुम नुबुव्वत करो। क्यूंके जो अजनबी ज़बानें बोलता है, अगर वह जमाअत की तरक़्क़ी के ख़्याल से उन का तरजुमा न करे तो नुबुव्वत करने वाला उस से बड़ा है।


क्या तुम अभी तक यही समझते हो के हम अपनी सफ़ाई पेश कर रहे हैं? हम तो ख़ुदा को हाज़िर नाज़िर जान कर अलमसीह में बोलते हैं; अज़ीज़ों! और यह सब कुछ, तुम्हारी तरक़्क़ी के लिये है।


ताके ख़ुदा के मुक़द्दस लोग ख़िदमत करने के लिये मुकम्मल तौर पर तरबियत पायें, और अलमसीह के बदन की तरक़्क़ी का बाइस हों


अलमसीह की वजह से बदन के तमाम आज़ा, बाहम पेवस्ता हैं और बदन अपने हर जोड़ की मदद से क़ाइम रहता है, चुनांचे जब हर उज़ू अपना-अपना काम सही तौर पर करता है तो सारा बदन तरक़्क़ी करता, और महब्बत में बढ़ता जाता है।


तुम्हारे मुंह से कोई बुरी बात न निकले, बल्के अच्छी बात ही निकले जो ज़रूरत के मुवाफ़िक़ तरक़्क़ी का बाइस हो, ताके सुनने वालों पर फ़ज़ल हो।


और तुम सूबे मकिदुनिया के सारे मसीही मोमिनीन से ऐसी ही महब्बत करते हो। फिर भी ऐ भाईयो और बहनों! हम तुम्हें नसीहत करते हैं के तुम इस में और भी तरक़्क़ी करते जाओ।


पस तुम इन बातों से एक दूसरे को तसल्ली दिया करो।


और उन फ़र्ज़ी दास्तानों और बेइन्तिहा नस्ब नामों का लिहाज़ न करें इन से ईमान पर मबनी नजात बख़्श इलाही काम आगे नहीं बढ़ता लेकिन महज़ झगड़े पैदा होते हैं।


बाहम जमा होना न छोड़ें जैसा बाज़ लोगों की जमा न होने की आदत बन गई है, बल्के हम एक दूसरे को नसीहत करें। ख़ासकर ये बात मद्देनज़र रखकर के ख़ुदावन्द की दुबारा आमद के दिन नज़दीक हैं।


बल्के जिस रोज़ तक आज का दिन कहा जाता है, हर रोज़ एक दूसरे को नसीहत करते रहो ताके तुम में से कोई शख़्स गुनाह के फ़रेब में आकर सख़्त-दिल न हो जाये।


इसलिये मैं तुम्हें हमेशा इन बातों को याद दिलाता रहूंगा, हालांके तुम इन से वाक़िफ़ हो और मज़बूती से उस हक़ पर क़ाइम हो, जो तुम्हें हासिल है।


मगर ऐ अज़ीज़ दोस्तों! तुम अपने पाक-तरीन ईमान में तरक़्क़ी करते जाओ, और पाक रूह की रहनुमाई में दुआ करते रहो।


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