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- Sanasan -




1 पतरस 4:11 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

11 अगर कोई कुछ बयान करे तो इस तरह करे गोया ख़ुदावन्द का कलाम पेश कर रहा है। अगर कोई ख़िदमत करे तो वो ख़ुदा से क़ुव्वत पा कर उसे अन्जाम दे ताके सब बातों में हुज़ूर ईसा अलमसीह के वसीले से ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर हो। ख़ुदा का जलाल और उन की सल्तनत अब्दुल-आबाद तक होती रहे। आमीन।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

11 अगर कोई कुछ कहे तो ऐसा कहे कि गोया ख़ुदा का कलाम है, अगर कोई ख़िदमत करे तो उस ताक़त के मुताबिक़ करे जो ख़ुदा दे, ताकि सब बातों में ईसा मसीह के वसीले से ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर हो। जलाल और सल्तनत हमेशा से हमेशा उसी की है। आमीन।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

11 अगर कोई बोले तो अल्लाह के-से अलफ़ाज़ के साथ बोले। अगर कोई ख़िदमत करे तो उस ताक़त के ज़रीए जो अल्लाह उसे मुहैया करता है, क्योंकि इस तरह ही अल्लाह को ईसा मसीह के वसीले से जलाल दिया जाएगा। अज़ल से अबद तक जलाल और क़ुदरत उसी की हो! आमीन।

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1 पतरस 4:11
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और हमें आज़माइश में न पड़ने दें, बल्के उस शरीर से बचायें।’ क्यूंके बादशाही, क़ुदरत और जलाल, हमेशा आप ही की हैं। आमीन।


जब यहूदाह चला गया, तो हुज़ूर ईसा ने फ़रमाया, “अब जब के इब्न-ए-आदम ने जलाल पाया है तो गोया ख़ुदा ने उस में जलाल पाया है।


यही ब्याबान में इस्राईली जमाअत में फ़रिश्ते के साथ था जो कोहे सीना पर हज़रत मूसा से हम कलाम हुआ, और हमारे आबा-ओ-अज्दाद के साथ; और इन ही को ज़िन्दा कलाम अता किया गया ताके वह हम तक पहुंचा दें।


क्यूंके सब चीज़ें ख़ुदा ही की जानिब से हैं, और ख़ुदा के वसीले से हैं और ख़ुदा ही के लिये हैं। ख़ुदा की तम्जीद हमेशा तक होती रहे! आमीन।


मैं उस फ़ज़ल की बन पर जो मुझ पर हुआ है तुम में से हर एक से कहता हूं के जैसा समझना मुनासिब है कोई अपने आप को उस से ज़्यादा न समझे बल्के जैसा ख़ुदा ने हर एक को अन्दाज़े से ईमान तक़्सीम किया है एतदाल के साथ अपने आप को वैसा ही समझे।


उसी वाहिद और हकीम ख़ुदा की हुज़ूर ईसा अलमसीह के वसीले से हमेशा तक तम्जीद होती रहे! आमीन।


बहुत है और हर लिहाज़ से है। ख़ुसूसन ये के ख़ुदा का कलाम उन के सुपुर्द किया गया।


पस तुम खाओ या पियो या ख़्वाह कुछ करो, सब ख़ुदा के जलाल के लिये करो।


नेमतें तो मुख़्तलिफ़ हैं, लेकिन पाक रूह एक ही है।


ख़ुदा के फ़ज़ल से मैंने एक माहिर मेमार की तरह बुनियाद रख्खी है और कोई दूसरा उस पर इमारत खड़ी कर रहा है। लेकिन हर एक को ख़बरदार रहना चाहिये के वह कैसी इमारत उठाता है।


क्यूंके तुम क़ीमत से ख़रीदे गये हो। पस अपने बदन से ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर करो।


लिहाज़ा हम उन बेशुमार लोगों की मानिन्द नहीं जो ख़ुदा के कलाम में आमेज़िश करते हैं बल्के हम कलाम को उसे साफ़ दिली के साथ ख़ुदा को हाज़िर जान कर अलमसीह के वफ़ादार ख़ादिमों की तरह पेश करते हैं।


इस ख़िदमत से लोगों पर साबित हो जायेगा के तुम अलमसीह की ख़ुशख़बरी को मानने का दावा ही नहीं करते बल्के उस पर ताबेदारी से अमल भी करते हो। ख़ुदा की तारीफ़ करते और सब लोगों की मदद करने में बड़ी सख़ावत से काम लेते हो।


और हम ईमान लाने वालों के लिये ख़ुदा की अज़ीम क़ुदरत की कोई हद नहीं। उन की अज़ीम क़ुदरत की तासीर के मुताबिक़


तुम्हारे मुंह से कोई बुरी बात न निकले, बल्के अच्छी बात ही निकले जो ज़रूरत के मुवाफ़िक़ तरक़्क़ी का बाइस हो, ताके सुनने वालों पर फ़ज़ल हो।


हर बात में हमारे ख़ुदावन्द ईसा अलमसीह के नाम से हमेशा ख़ुदा बाप का शुक्र करते रहो।


आख़िरी बात यह है के तुम ख़ुदावन्द में और उस की क़ुव्वत से मामूर होकर मज़बूत बन जाओ।


और हुज़ूर ईसा अलमसीह के वसीले से रास्तबाज़ी के फल से भरे रहो, ताके ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर हो और उस की सिताइश होती रहे।


और हर ज़बान ख़ुदा बाप के जलाल के लिये इक़रार करे, के हुज़ूर ईसा अलमसीह ही ख़ुदावन्द हैं।


तुम्हारी गुफ़्तगू ऐसी पुरफ़ज़ल पुरकशिश हो, ताके तुम हर शख़्स को मुनासिब जवाब दे सको।


बल्के इस के बरअक्स, जैसे ख़ुदा ने हमें मक़्बूल कर के ख़ुशख़बरी हमारे सुपुर्द की वैसे ही हम बयान करते हैं; हम आदमियों को नहीं बल्के ख़ुदा को ख़ुश करने की कोशिश में हैं, जो हमारे दिलों को आज़माने वाला है।


अब अज़ली बादशाह यानी उस ग़ैरफ़ानी, नादीदा वाहिद ख़ुदा की इज़्ज़त और ख़ुदा की तम्जीद हो हमेशा तक होती रहे। आमीन!


बक़ा सिर्फ़ उसी की है और ऐसे नूर में रहता है जिस के क़रीब कोई नहीं पहुंच सकता, उसे किसी इन्सान ने नहीं देखा है और न देख सकता है। उस की इज़्ज़त और क़ुदरत अब्दुल-आबाद रहे। आमीन।


बहरहाल तुम वोही बातें बयान कर जो सही तालीम के मुताबिक़ हों।


तू इन बातों की पूरे इख़्तियार के साथ तालीम दे तम्बीह कर और नसीहत भी देता रह। कोई शख़्स तेरी हक़ारत न करने पाये।


अपने रहनुमाओं को याद रखो जिन्होंने तुम्हें ख़ुदा का कलाम सुनाया था। और उन की ज़िन्दगी के अन्जाम पर ग़ौर करो के वो कैसी थी फिर उन के ईमान के नमूने पर अमल करो।


दरअस्ल अब तक वक़्त के ख़्याल से तो तुम्हें उस्ताद हो जाना चाहिये था लेकिन अब ज़रूरत तो इस बात की है के कोई शख़्स ख़ुदा के कलाम की बुनियादी बातें तुम्हें फिर से सिखाए। और सख़्त ग़िज़ा की बजाय तुम्हें तो दूध पीने की ज़रूरत पड़ है।


ऐ मेरे अज़ीज़ भाईयों और बहनों! इस बात का ख़्याल रखना के हर आदमी सुनने में तेज़ और बोलने और ग़ुस्सा करने में धीमा हो।


अगर कोई शख़्स अपने आप को दीनदार समझता है मगर फिर भी अपनी ज़बान को क़ाबू में नहीं रखता तो वो अपने आप को धोका देता है। और उस का दीन फ़ुज़ूल है।


और ग़ैरयहूदियों में अपना चाल चलन ऐसा नेक रखो ताके जिन बातों में वो तुम्हें बदकार जान कर तुम्हारी बदगोई करते हैं, वोही तुम्हारे नेक कामों को देखकर उन्हीं के सबब से ख़ुदा के ज़हूर के दिन उस की तम्जीद करें।


और तुम भी ज़िन्दा पत्थरों की मानिन्द हो जो पाक रूह का मक़्दिस बनते जा रहे हो, ताके तुम काहिनों का मुक़द्दस फ़िर्क़ा बन कर ऐसी रूहानी क़ुर्बानियां पेश करो जो हुज़ूर ईसा अलमसीह के वसीले से ख़ुदा के हुज़ूर में मक़्बूल होती हैं।


ख़ुदा ने तुम में से हर एक को अलग-अलग रूहानी नेमतें अता की हैं लिहाज़ा उन मुख़्तलिफ़ नेमतों को वफ़ादार मुख़्तारों की मानिन्द एक दूसरे की ख़िदमत करने में इस्तिमाल करो।


लेकिन अगर कोई मसीही होने की वजह से दुख उठाये तो शर्मिन्दा न हो बल्के ख़ुदा की तम्जीद करे के वो मसीही कहलाता है।


ख़ुदा की सल्तनत अब्दुल-आबाद तक होती रहे। आमीन।


उस वाहिद ख़ुदा का जो हमारा मुनज्जी है, हमारे ख़ुदावन्द ईसा अलमसीह के वसीले से जलाल, क़ुदरत, सल्तनत और इख़्तियार जैसा अज़ल से है, अब भी हो, और अबद तक क़ाइम रहे। आमीन।


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