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- Sanasan -




1 पतरस 3:18 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

18 इसलिये अलमसीह भी गुनाहों के लिये एक ही बार क़ुर्बान हुआ, यानी एक रास्तबाज़ ने नारास्तों के लिये दुख उठाया ताके तुम्हें ख़ुदा के पास पहुंचाये। वो जिस्म के एतबार से तो मारा गया लेकिन रूह के ज़रीये से ज़िन्दा किया गया।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

18 इसलिए कि मसीह ने भी या'नी रास्तबाज़ ने नारास्तों के लिए, गुनाहों के बा'इस एक बार दुःख उठाया ताकि हम को ख़ुदा के पास पहुँचाए; वो जिस्म के ऐ'तबार से मारा गया, लेकिन रूह के ऐ'तबार से तो ज़िन्दा किया गया।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

18 क्योंकि मसीह ने हमारे गुनाहों को मिटाने की ख़ातिर एक बार सदा के लिए मौत सही। हाँ, जो रास्तबाज़ है उसने यह नारास्तों के लिए किया ताकि आपको अल्लाह के पास पहुँचाए। उसे बदन के एतबार से सज़ाए-मौत दी गई, लेकिन रूह के एतबार से उसे ज़िंदा कर दिया गया।

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1 पतरस 3:18
34 Iomraidhean Croise  

और जब पीलातुस तख़्त-ए-अदालत पर बैठा था तो उस की बीवी ने उसे ये पैग़ाम भेजा: “इस रास्तबाज़ आदमी के ख़िलाफ़ कुछ मत करना क्यूंके मैंने आज ख़्वाब में इस के सबब से बहुत दुख उठाया है।”


जब पीलातुस ने देखा के कुछ बन नहीं पड़ रहा, लेकिन उलटा बुलवा शुरू होने को है तो उस ने पानी ले कर लोगों के सामने अपने हाथ धोए और कहा। “मैं इस बेक़ुसूर के ख़ून से बरी होता हूं, अब तुम ही इस के लिये जवाबदेह हो।”


रास्तबाज़ी की बाबत, यह के मैं वापस बाप के पास जा रहा हूं, और तुम मुझे फिरना देखोगे;


“तब हननयाह ने कहा: ‘तेरे आबा-ओ-अज्दाद के ख़ुदा ने तुझे चुन लिया है ताके तू ख़ुदा की मर्ज़ी को जाने और अलमसीह रास्तबाज़ को देखे और उन के मुंह की बातें सुने।


तुम ने हुज़ूर ईसा क़ुददूस और रास्तबाज़ को रद्द कर के पीलातुस से दरख़्वास्त की के वह एक क़ातिल को तुम्हारी ख़ातिर रिहा कर दे।


लेकिन पाकीज़गी की रूह के एतबार से मुर्दों में से जी उठने के बाइस बड़ी क़ुदरत के साथ ख़ुदा का बेटा ठहरे: यानी हमारे ख़ुदावन्द ईसा अलमसीह।


हुज़ूर ईसा हमारे गुनाहों के लिये मौत के हवाले किये गये और फिर ज़िन्दा किये गये ताके हम रास्तबाज़ ठहराये जायें।


ईमान लाने से हम ने अलमसीह के वसीले से उस फ़ज़ल को पा लिया है और उस पर क़ाइम भी हैं और इस उम्मीद पर नज़र करते हैं के हम भी ख़ुदा के जलाल में शरीक होंगे।


और अगर उस का रूह तुम में बसा हुआ है जिस ने हुज़ूर ईसा को मुर्दों में से ज़िन्दा किया तो अलमसीह को मुर्दों में से ज़िन्दा करने वाला तुम्हारे फ़ानी बदनों को भी अपने उस रूह के वसीले से ज़िन्दा करेगा जो तुम में बसा हुआ है।


इसलिये जो काम गुनाह आलूदा जिस्म के सबब से शरीअत कमज़ोर होकर न कर सकी वह ख़ुदा ने अपने-अपने ही बेटे को गुनाह की क़ुर्बानी के तौर पर गुनाह आलूदा जिस्म की सूरत में भेज कर जिस्म में गुनाह की सज़ा का हुक्म दिया।


हमारा यह मक़सद नहीं है के हम तुम्हारे ईमान के बारे में तुम पर हुक्म चलायें, हम आप की ख़ुशनूदी में आप के हम ख़िदमत हैं, बल्के तुम तो अपने ईमान पर मज़बूती से क़ाइम हो।


हां, वह कमज़ोरी के सबब से तो मस्लूब हुए मगर ख़ुदा की क़ुदरत के सबब से ज़िन्दा हैं। और हम भी कमज़ोरी में तो उन के शरीक हैं लेकिन ख़ुदा की क़ुदरत से उन की ज़िन्दगी में भी शरीक होंगे ताके तुम्हारी ख़िदमत कर सकें।


ख़ुदा ने अलमसीह को जो गुनाह से वाक़िफ़ न था, हमारे वास्ते गुनाह ठहराया ताके हम अलमसीह में ख़ुदा की रास्तबाज़ हो जायें।


अलमसीह ने अपने आप को हमारे गुनाहों के बदले में क़ुर्बान कर दिया, ताके वह हमें हमारे ख़ुदा और बाप की मर्ज़ी के मुताबिक़ इस मौजूदा बुरे ज़माने से बचा ले।


अलमसीह ने जो हमारे लिये लानती बना, हमें मोल ले कर शरीअत की लानत से छुड़ा लिया क्यूंके सहीफ़े में लिख्खा है: “जो कोई सलीब की लकड़ी पर लटकाया गया वह लानती है।”


चूंके हम अलमसीह पर ईमान लाये हैं इसलिये हम बड़ी दिलेरी और पूरे भरोसे के साथ ख़ुदा के हुज़ूर में जा सकते हैं।


जिन्होंने अपने आप को हमारी ख़ातिर क़ुर्बान कर दिया ताके हमारा फ़िद्-या होकर हमें हर तरह की बेदीनी से छुड़ा लें और हमें पाक कर के अपने लिये एक ऐसी उम्मत बना लें जो नेक काम करने में सरगर्म रहे।


और उस की मर्ज़ी पूरी हो जाने से हम हुज़ूर ईसा अलमसीह के बदन के एक ही बार क़ुर्बान होने के वसीले से हमेशा के लिये पाक कर दिये गये हैं।


तो अलमसीह का ख़ून जिस ने अपने आप को अज़ली रूह के वसीले से ख़ुदा के सामने बेऐब क़ुर्बान कर दिया, तो उस का ख़ून हमारे ज़मीर को ऐसे कामों से और भी ज़्यादा पाक करेगा जिन का अन्जाम मौत है ताके हम ज़िन्दा ख़ुदा की ख़िदमत करें।


वर्ना बिना-ए-आलम से ले कर अब तक उसे बार-बार दुख उठाना पड़ता। मगर अब आख़िर ज़माने में अलमसीह एक बार ज़ाहिर हुए ताके अपने आप को क़ुर्बान कर के गुनाह को नेस्त कर दे।


उसी तरह अलमसीह भी एक ही बार तमाम लोगों के गुनाहों को उठा ले जाने के लिये क़ुर्बान हुए। और दूसरी बार जब वो ज़ाहिर होंगे तो गुनाहों को दूर करने के लिये नहीं बल्के उन्हें नजात देने के लिये तशरीफ़ लायेंगे जो उन का इन्तिज़ार बड़ी शिद्दत से कर हैं।


तुम ने रास्तबाज़ शख़्स को जो तुम्हारा मुक़ाबला नहीं कर रहा था, क़ुसूरवार ठहराया और उसे क़त्ल कर डाला।


और अलमसीह ने अपने रूहानी वुजूद में जा कर उन क़ैदी रूहों में मुनादी की।


पस जब के अलमसीह ने जिस्म के एतबार से दुख उठाया था लिहाज़ा तुम भी ऐसे ही इरादे से मुसल्लह हो जाओ क्यूंके जिस ने जिस्म के एतबार से दुख उठाया वह गुनाह से फ़राग़त पाई।


क्यूंके मुर्दों को भी ख़ुशख़बरी इसीलिये सुनाई गई थी के जिस्म के लिहाज़ से तो उन का इन्साफ़ इन्सानी पैमाना के मुताबिक़ हो, लेकिन अपनी रूह में वो ख़ुदा की मर्ज़ी के मुताबिक़ ज़िन्दा रहीं।


लेकिन अगर हम अपने गुनाहों का इक़रार करें, तो वो हमारे गुनाहों को मुआफ़ करने और हमें सारी नारास्ती से पाक साफ़ करने में वफ़ादार और आदिल है।


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