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- Sanasan -




1 पतरस 3:11 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

11 बदी से दूर रहे और नेकी करे; सुलह का तालिब हो और उस की कोशिश में रहे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

11 बदी से किनारा करे और नेकी को 'अमल में लाए, सुलह का तालिब हो, और उसकी कोशिश में रहे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

11 वह बुराई से मुँह फेरकर नेक काम करे, सुलह-सलामती का तालिब होकर उसके पीछे लगा रहे।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




1 पतरस 3:11
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ताके तुम अपने आसमानी बाप के बेटे बन सको, क्यूंके वह अपना सूरज बदकार और नेकोकार दोनों पर रोशन करता है, और रास्तबाज़ और बेदीनों दोनों पर मेंह बरसाता है।


मुबारक हैं वह जो सुलह कराते हैं, क्यूंके वह ख़ुदा के बेटे कहलायेंगे।


और हमें आज़माइश में न पड़ने दें, बल्के उस शरीर से बचायें।’ क्यूंके बादशाही, क़ुदरत और जलाल, हमेशा आप ही की हैं। आमीन।


ग़रीब ग़ुरबा तो हमेशा तुम्हारे साथ हैं, तुम जब चाहो उन के साथ नेकी कर सकते हो। लेकिन मैं यहां हमेशा तुम्हारे पास न रहूंगा।


ताके उन को रोशनी बख़्शे जो तारीकी और मौत के साये में बैठे हैं, और हमारे क़दमों को सलामती की राह पर ले चले।”


मगर तुम अपने दुश्मनों से महब्बत रखो, उन का भला करो, क़र्ज़ दो और उस के वसूल पाने की उम्मीद न रखो, तो तुम्हारा अज्र बड़ा होगा और तुम ख़ुदा तआला के बेटे ठहरोगे क्यूंके वह नाशुकरों और बदकारों पर भी मेहरबान है।


तब हुज़ूर ईसा ने उन से कहा, “मैं तुम से ये पूछता हूं: सबत के दिन नेकी करना रवा है या बदी करना, जान बचाना या हलाक करना?”


मेरी मिन्नत ये नहीं के बाप उन्हें दुनिया से उठा ले बल्के ये है के उन्हें शैतान से महफ़ूज़ रखे।


जहां तक मुम्किन हो हर इन्सान के साथ सुलह से रहो।


क्यूंके ख़ुदा की बादशाही खाने-पीने पर नहीं, बल्के रास्तबाज़ी, इत्मीनान और ख़ुशी पर मौक़ूफ़ है जो पाक रूह की जानिब से मिलती है।


आओ हम इन बातों की जुस्तुजू में रहें जो अमन और बाहमी तरक़्क़ी का बाइस होती हैं।


चूंके, हम ईमान की बिना पर रास्तबाज़ ठहराये गये हैं, इसलिये हमारे ख़ुदावन्द ईसा अलमसीह के वसीले से हमारी ख़ुदा के साथ सुलह हो चुकी है।


चुनांचे जो नेकी करना चाहता हूं उसे तो करता नहीं लेकिन वह बदी जिसे करना नहीं चाहता उसे करता चला जाता हूं।


जो शरीअत मेरे सामने है उस के मुताबिक़ जब भी मैं नेकी करने का इरादा करता हूं तो बदी मेरे पास आ मौजूद होती है।


जिस्मानी ग़रज़ मौत है लेकिन रूहानी ग़रज़ ज़िन्दगी और इत्मीनान है।


मगर पाक रूह का फल, महब्बत, ख़ुशी, इत्मीनान, सब्र, मेहरबानी, नेकी, वफ़ादारी,


चुनांचे जहां तक मौक़ा मिले, हम सब के साथ नेकी करें, ख़ासतौर पर अहल-ए-ईमान के साथ।


अलमसीह का इत्मीनान तुम्हारे दिलों पर हुकूमत करे, जिस के लिये तुम एक ही बदन के आज़ा होने की हैसियत से ख़ुदा के ज़रीये बुलाए गये हो, और तुम शुक्र गुज़ारी भी करते रहो।


उन्हें हुक्म दे के वो नेकी करें और नेक कामों के लिहाज़ से दौलतमन्द बनें, और सख़ावत पर तय्यार और दूसरों की मदद करने पर आमादा रहें।


सब के साथ सुलह से रहो और उस पाकीज़गी के तालिब रहो जिस के बग़ैर कोई ख़ुदावन्द को न देखेगा।


दूसरों के साथ नेकी और सख़ावत करना मत भूलो क्यूंके ख़ुदा ऐसी क़ुर्बानियों से ख़ुश होता है।


पस जो भलाई करना जानता है मगर करता नहीं करता, तो उस के लिये यह गुनाह है।


क्यूंके ख़ुदावन्द की आंखें रास्तबाज़ों पर लगी रहती हैं और उस के कान उन की दुआओं पर लगे रहते हैं, मगर वह बदकारों से मुंह मोड़ लेता है।”


मेरे अज़ीज़! बदी की नहीं बल्के नेकी की पैरवी करो। नेकी करने वाला ख़ुदा से है और जो बदी करता है उस ने ख़ुदा को न तो पहचाना है और न ही जानता है।


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