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- Sanasan -




1 पतरस 2:6 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

6 जैसा के सहीफ़ा यूं बयान करता है: “देखो! मैं सिय्यून में कोने के सिरे का, एक मुन्तख़ब और क़ीमती पत्थर रख रहा हूं, और जो उस पर ईमान लायेगा वह कभी शर्मिन्दा न होगा।”

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

6 चुनाँचे किताब — ए — मुक़द्दस में आया है: देखो, मैं सिय्यून में कोने के सिरे का चुना हुआ और क़ीमती पत्थर रखता हूँ; जो उस पर ईमान लाएगा हरगिज़ शर्मिन्दा न होगा।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

6 क्योंकि कलामे-मुक़द्दस फ़रमाता है, “देखो, मैं सिय्यून में एक पत्थर रख देता हूँ, कोने का एक चुनीदा और क़ीमती पत्थर। जो उस पर ईमान लाएगा उसे शरमिंदा नहीं किया जाएगा।”

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1 पतरस 2:6
27 Iomraidhean Croise  

“ये मेरा ख़ादिम है जिसे मैंने चुन है, मेरा महबूब है जिस से मेरा दिल ख़ुश है; मैं अपनी रूह उस पर नाज़िल करूंगा, और वह ग़ैरयहूदियों में इन्साफ़ का एलान करेगा।


क्या तुम ने किताब-ए-मुक़द्दस में नहीं पढ़ा: “ ‘जिस पत्थर को मेमारों ने रद्द कर दिया वोही कोने के सिरे का पत्थर हो गये;


हुज़ूर ईसा ने उन की तरफ़ नज़र कर के पूछा, “तो फिर किताब-ए-मुक़द्दस के इस हवाले का क्या मतलब है: “ ‘जिस पत्थर को मेमारों ने रद्द कर दिया वोही कोने के सिरे का पत्थर हो गये’?


लोग खड़े-खड़े ये सब कुछ देख रहे थे और रहनुमा लोग भी हुज़ूर पर ताना कसते थे और कहते थे, “इस ने औरों को बचाया; अगर ये ख़ुदा का अलमसीह, जो बरगुज़ीदा है तो अपने आप को बचा ले।”


जो कोई मुझ पर ईमान लाता है, जैसा के किताब-ए-मुक़द्दस में लिख्खा है: उस के अन्दर से, आबे-हयात के दरिया जारी हो जायेंगे।”


पतरस खड़े होकर फ़रमाया, “ऐ भाईयो और बहनों, किताब-ए-मुक़द्दस की उस बात का जो पाक रूह ने दाऊद की ज़बान से पहले ही कहलवा दी थी पूरा होना ज़रूरी था। वह बात यहूदाह के बारे में थी, जिस ने ख़ुदावन्द ईसा के पकड़वाने वालों की रहनुमाई की थी।


जैसा के सहीफ़ा बयान करता है, “जो कोई उस पर ईमान लायेगा वह कभी शर्मिन्दा न होगा।”


ख़ुदा ने हमें दुनिया के बनाये जाने के पेशतर ही से अलमसीह में चुन लिया था ताके हम ख़ुदा के हुज़ूर महब्बत में पाक और बेऐब हों।


तुम गोया एक इमारत हो जो रसूलों और नबियों की बुनियाद पर तामीर की गई है, और अलमसीह ईसा ख़ुद कोने का बुनियादी पत्थर हैं।


क्यूंके हर सहीफ़ा जो ख़ुदा के इल्हाम से वुजूद में आया है, वो तालीम देने, तम्बीह करने, इस्लाह और रास्तबाज़ी में तरबियत देने के लिये मुफ़ीद है,


जब तुम उस ज़िन्दा पत्थर के पास आते हो जिसे इन्सानों ने रद्द कर दिया था लेकिन जो ख़ुदा की नज़र में बेशक़ीमती और मुन्तख़ब किया हुआ है।


और, “ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान बन गया।” वह इसलिये ठोकर खाते हैं क्यूंके वह किताब-ए-मुक़द्दस पर ईमान नहीं लाते और यही सज़ा ख़ुदा ने उन के लिये भी मुक़र्रर की है।


मगर सब से पहले ये जान लो के किताब-ए-मुक़द्दस की कोई भी नबुव्वत की बात की तफ़सीर अपने ज़ाती तौर पर नहीं कर सकता।


उस ने अपने तमाम ख़ुतूत में इन बातों का ज़िक्र किया है। उस के ख़ुतूत में बाज़ बातें ऐसी भी हैं जिन का समझना मुश्किल है और जिन्हें जाहिल और बेक़ियाम लोग उन के मानी को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं जैसा वो बाक़ी सहीफ़ों के साथ भी करते हैं और ऐसा कर के अपने ऊपर तबाही लाते हैं।


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