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- Sanasan -




1 यूहन्ना 3:2 - उर्दू हमअस्र तरजुमा

2 ऐ अज़ीज़ दोस्तों! इस वक़्त हम ख़ुदा के फ़र्ज़न्द हैं लेकिन अभी तक ये ज़ाहिर नहीं हुआ है के हम और क्या होंगे लेकिन इतना ज़रूर जानते हैं के जब हुज़ूर ईसा फिर से ज़ाहिर होंगे तो हम भी उन की मानिन्द होंगे क्यूंके हम हुज़ूर को वैसा ही देखेंगे जैसा वो हैं।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 2019

2 'अज़ीज़ो! हम इस वक़्त ख़ुदा के फ़र्ज़न्द हैं, और अभी तक ये ज़ाहिर नहीं हुआ कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं कि जब वो ज़ाहिर होगा तो हम भी उसकी तरह होंगे, क्यूँकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वो है।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac

किताब-ए मुक़द्दस

2 अज़ीज़ो, अब हम अल्लाह के फ़रज़ंद हैं, और जो कुछ हम होंगे वह अभी तक ज़ाहिर नहीं हुआ है। लेकिन इतना हम जानते हैं कि जब वह ज़ाहिर हो जाएगा तो हम उस की मानिंद होंगे। क्योंकि हम उसका मुशाहदा वैसे ही करेंगे जैसा वह है।

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1 यूहन्ना 3:2
37 Iomraidhean Croise  

मुबारक हैं वह जो पाक दिल हैं, क्यूंके वह ख़ुदा को देखेंगे।


“उसी तरह इब्न-ए-आदम के ज़ाहिर होने के दिन भी ऐसा ही होगा।


वह मरेंगे भी नहीं; क्यूंके वह फ़रिश्तों की मानिन्द होंगे। और क़ियामत के फ़र्ज़न्द के बाइस ख़ुदा के फ़र्ज़न्द होंगे।


लेकिन जितनों ने उन्हें क़बूल किया, उन्होंने उन्हें ख़ुदा के फ़र्ज़न्द होने का हक़ बख़्शा यानी उन्हें जो उन के नाम पर ईमान लाये।


और सिर्फ़ यहूदी क़ौम के लिये ही नहीं बल्के इसलिये भी के ख़ुदा के सारे फ़र्ज़न्दों को जो जा-ब-जा बिखरे हुए हैं जमा कर के वाहिद क़ौम बना दे।


“ऐ बाप, आप ने जिन्हें मुझे दिया है मैं चाहता हूं के जहां में हूं वह भी मेरे साथ हूं, और इस जलाल को देख सकें जो आप ने मुझे अता किया, क्यूंके आप ने दुनिया की तख़्लीक़ से पेशतर ही मुझ से महब्बत रख्खी।


पाक रूह ख़ुद हमारी रूह के साथ मिल कर गवाही देता है के हम ख़ुदा के फ़र्ज़न्द हैं।


में जानता हूं के ये दुख दर्द जो हम अब सहा रहे हैं उस जलाल के मुक़ाबले में कुछ भी नहीं जो हम पर ज़ाहिर होने को है।


चुनांचे सारी ख़िल्क़त बड़ी आरज़ू के साथ इस इन्तिज़ार में है के ख़ुदा अपने फ़र्ज़न्दों को ज़ाहिर करे।


क्यूंके जिन्हें ख़ुदा पहले से जानता था उन्हें उस ने पहले से मुक़र्रर भी किया के वह उस के बेटे की मानिन्द बनें ताके उस का बेटा बहुत सारे मेरे भाईयों और बहनों में पहलोठा शुमार किया जाये।


इस वक़्त तो हमें आईने में धुंदला सा दिखाई देता है लेकिन उस वक़्त रूबरू देखेंगे। इस वक़्त मेरा इल्म नाक़िस है मगर उस वक़्त मैं पूरे तौर पर पहचान लूंगा, जैसे मैं पहचाना गया हूं।


जिस तरह हम उस ख़ाकी की सूरत पर पैदा हुए, उसी तरह हम उस आसमानी के मुशाबेह भी होंगे।


मगर किताब-ए-मुक़द्दस में लिख्खा है: “जो न तो किसी आंख ने देखा, न किसी कान ने सुना, न किसी इन्सान के दिल में आया” उसे ख़ुदा ने उन के लिये तय्यार किया है जो उस से महब्बत रखते हैं।


लेकिन हम सब, जिन के बेनक़ाब चेहरों से ख़ुदावन्द का जलाल इस तरह ज़ाहिर होता है, जिस तरह आईन में, तो हम ख़ुदावन्द के पाक रूह के वसीले से उस की जलाली सूरत में दर्जा-ब-दर्जा बदलते जाते हैं।


हमारी यह मामूली सी मुसीबत जो के आरज़ी है हमारे लिये ऐसा अब्दी जलाल पैदा कर रही है जो हमारे क़ियास से बाहर है।


इसलिये के तुम सब अलमसीह ईसा पर ईमान लाने के वसीले से ख़ुदा के फ़र्ज़न्द बन गये हो,


चूंके तुम फ़र्ज़न्द हो इसलिये ख़ुदा ने अपने बेटे का रूह हमारे दिलों में भेजा और वह रूह, “अब्बा, यानी ऐ बाप” कह कर पुकारता है।


अलमसीह अपनी क़ुव्वत से सारी चीज़ों को अपने ताबे कर सकते हैं, इसी क़ुव्वत की तासीर से वह हमारे फ़ानी बदन की शक्ल को बदल कर उसे अपने की तरह जलाली बदन की मानिन्द बना देंगे।


और जब अलमसीह जो हमारी ज़िन्दगी हैं, ज़ाहिर होगें तो तुम भी उन के साथ उन के जलाल में ज़ाहिर किये जाओगे।


उसी तरह अलमसीह भी एक ही बार तमाम लोगों के गुनाहों को उठा ले जाने के लिये क़ुर्बान हुए। और दूसरी बार जब वो ज़ाहिर होंगे तो गुनाहों को दूर करने के लिये नहीं बल्के उन्हें नजात देने के लिये तशरीफ़ लायेंगे जो उन का इन्तिज़ार बड़ी शिद्दत से कर हैं।


उन्हें के ज़रीअः ख़ुदा ने हम से अज़ीम और बेशक़ीमती वादे किये हैं ताके तुम दुनिया की बुरी ख़ाहिशात से पैदा होने वाली ख़राबी से आज़ाद होकर ज़ात-ए-इलाही में शरीक हो सको।


ग़रज़ ऐ बच्चों! अलमसीह में क़ाइम रहो ताके जब वो ज़ाहिर हो तो हमें दिलेरी हो और हम उस की आमद पर उस के सामने शर्मिन्दा न हों।


ऐ अज़ीज़ों मैं तुम्हें कोई नया हुक्म नहीं लिख रहा हूं, बल्के वोही पुराना हुक्म है जो शुरू से तुम्हें मिला है। ये पुराना हुक्म वोही पैग़ाम है जिसे तुम सुन चुके हो।


देखो, आसमानी बाप ने हम से कैसी महब्बत की है के हम ख़ुदा के फ़र्ज़न्द कहलाते हैं और हम वाक़ई हैं भी। दुनिया हमें इसलिये नहीं जानती क्यूंके इस ने हुज़ूर ईसा को भी नहीं जाना।


इसी से ज़ाहिर होता है के कौन ख़ुदा के फ़र्ज़न्द हैं और कौन इब्लीस के। जो कोई रास्तबाज़ी के काम नहीं करता वो ख़ुदा का फ़र्ज़न्द नहीं और जो अपने भाई या बहन से महब्बत नहीं रखता वो भी ख़ुदा का फ़र्ज़न्द नहीं है।


ऐ अज़ीज़ दोस्तों! अगर हमारा ज़मीर हमें मुजरिम नहीं ठहराता तो हमें ख़ुदा की हुज़ूरी में दिलेरी होती है।


जो कोई ये ईमान रखता है के हुज़ूर ईसा ही अलमसीह हैं वो ख़ुदा से पैदा हुआ है और जो बाप से महब्बत रखता है वो उस की औलाद से भी महब्बत रखता है।


और वह उस का चेहरा देखेंगे और उस का नाम उन की पेशानी पर लिख्खा होगा।


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