सिरप इतनो करौ कै तुमरो चाल-चलन मसी की अच्छी खबर के लायक हो जाऐ कै चाँहे मैं आकै तुमकै देखौं या ना बी आऔं, पर मैं तुमरे बारे मै बस जौई सुनौं कै तुम सब एक आत्मा मै टिक जाऔ और एक मन हो कै, एक संग मिलकै अच्छी खबर के बिसवास के ताँई मैहनत करते रैहऔ।
इसताँई याद कर, कै तैनै कैसी सिक्छा पाई ही और सुनी ही, और उनमै बनो रैह और मन फिरा। अगर तू जगो ना रैहगो तौ मैं चोर के हाँई आ जांगो और तू जान ना सकैगो कै मैं किस घड़ी तेरे धौंरे आ गओ।