फिर ईसु नै उनसै कैई, “जौई आदमी परमेसर की नजर मै धरमी होकै अपने घर लौहटो। ना कै बौ फरीसी कैसेकै जो कोई आदमी अपने आपकै बड़ो बनागो, बौ छोटो करो जागो; और जो अपने आपकै छोटो बनागो, बौ बड़ो करो जागो।”
हम बैसेई रैहऐ जैसे दिन के टैम मै रैहबैं हैं। और दाबतौं मै खाकै पीकै धुत्त ना होओ, बईयरौं के संग गलत काम ना करौ, भोग-विलास मै ना पड़ौ, लड़ाई, और ना किसी सै जरन रक्खौ।
कैसेकै मैंकै जा बात को डर है कै जब मैं तुमरे धौंरे आऔं तौ तुमकै बैसो ना पांऔ जैसो मैंनै सोचो है, और तुम बी मैंकै बैसो ना पाऔ जैसो तुम सोचै हे। मैंकै जा बात को डर है कै कबी तुमरे बीच मै आपस मै लड़ाई, जरन, घुस्सा, मतलबी इच्छा, चुगली, घमंड, और नियम सई ना मिलै।
तौ मैं समजौ हौं कै बाकै घमंड नै अन्धो बना दओ है और कुछ ना समजै है। पर बाकै बैहैस कन्नै की और छोटी छोटी बातौं मै लड़ाई कन्नै की बेमारी हो गई है, जिनसै जरन, और लड़ाई, और बेजती की बात, और बुरे-बुरे सक कन्नै।
हे जमान बालकौ, तुम बी मुखियौं की बात मानौ, और तुम सब एक दूसरे के संग नमर बनौ कैसेकै पबित्तर सास्तर मै लिखो है, “परमेसर घमंड कन्नै बारौ को बिरोद करै है पर दीन लोगौ के ऊपर किरपा करै है।”