कैसेकै बानै उनकै ऐंसो कैई ही कै, “तुम मेरो मौह अब कबी बी ना देख पाऔगे,” इसई बात की बजै सै उनकै भौत दुख हो। तबई उन्नै बाकै पानी के जिहाज मै बिठा कै बिदा करो।
और मैंनै जौ बात इसताँई लिखी कै कहीं ऐंसो ना हो जाय कै जब मैं आऔं तौ जिन लोगौ सै मैंकै खुसी मिलनी चँईऐ, कहीं बे मैंकै दुख दैं। कैसेकै मैंकै तुम सबई के ऊपर जा बात को पक्को बिसवास है कै जो मेरी खुसी है, बौई तुमरी बी खुसी है।