प्रकाशितवाक्य 4:1 - सिरमौरी नौवाँ नियम1 जोबै ऐजी सौबै बातौ हौए गोई, तौ मोऐं दैखौ कै स्वर्ग दा ऐक दरवाज़ा खोलेयौंदा थिया। तोबै मोऐं सैजी आवाज़ औटेयौ शौणै जू कै तुरही कै आवाज़ कै जैशणै थै। तैणै मुखै बौल़ौ, “मैरै धोरे इथै ऊबा आ, औरौ हांव सैजी बातौ ताखै दिखोऊ, जिथका इनु बातौ कै बाद पूरु हौणौ जौरुरी औसौ।” Faic an caibideilSirmouri1 इन बातो पाछी मुँऐं संईसारी दी देखियों झ़ैठ पाऐयों का देखी लो, के स्वर्गो दो ऐक दुवार खुली अंदो असो, अरह् जेसी मुँऐं आगे रंणशिंगै-कनाँल़ी की जेई गूँह्ज दा आपु आरी बात कर्दे शुँणाँ थिया, से ही बुलो, के “ईथै ऊँबा आ; अरह् हाँव सेजी बातो ताँव कैई शी देखाऊँबा, जुण्जी बातो ईन्दें पाछी हंणीं जरूरी ही असो।” Faic an caibideil |
तोबै स्वर्गदूतै मुंकैई बौल़ौ, “ऐजी सौबै बातौ जू ताखै बौताए रैई, साची औसौ औरौ पूरी तरह शै बिशवाश कौरणौ लायक औसौ। जिथुकै प्रभु पौरमेशवर जैसीए पौरमेशवर कै बातौ बौताणौवाल़ै कै आपणा आत्मा दैय राए थिया। सैजाई औसौ जैणै मुखै, जू कै तैसका स्वर्गदूत औसौ, ताखै सैजौ बौताणौ कारिए भैजै राए जू कै तावल़ो हौणौवाल़ौ औसौ।”