प्रकाशितवाक्य 15:4 - सिरमौरी नौवाँ नियम4 “ओए रै प्रभु, सौबी लोगौ कै दवारा तैरा आदर कौरा जांव, औरौ सै सौबै जोणे तैरै नांव कै इज्जत कौरौ, जिथुकै सिरफ तू ही पवित्र पौरमेशवर औसौ। हरेक राज्य कै सौबै लोग तैरै धोरे आंव, औरौ सै तैरी आराधना कौरौ, जिथुकै तैरै धरम कै काम सौबै जोणे आछी तरह शै जाणौ।” Faic an caibideilSirmouri4 “हे प्रभू, कुँण असो: जेस्दी तुँओं खे श्रदा ने हों, कुँण असो, तुँवाँरी बड़ियाऐ ने करह्? सिर्फ तुँऐं ही पबित्र असो, बादी संईसारी की जात्ती आऐयों तुवाँरे नाँव शे आप्णें घून्डु नाऐयों प्रणाँम कर्ले; किन्देंखे के तुवाँरे नियाँव के काँम-काज़ पर्गट हऐ रंई।” Faic an caibideil |