प्रकाशितवाक्य 13:1 - सिरमौरी नौवाँ नियम1 मोऐं ऐक राकस समुन्द्र पौरैशा निकल़दै बैई दैखा, जैसकै सात मुंड थिए औरौ हरेक मुंडौ पांदी मुकुट थिए। तैसकै शींगौ पांदी दस राजमुकुट औरौ तैसकै हरेक मुंडौ पांदी पौरमेशवर को ऐक नांव लैखै राए थियु जिथका इस्तैमाल कौरणा का तैसी कुणजाई औधिकार ना थी। Faic an caibideilSirmouri1 तबे मुँऐ ऐक बुँणेंर समुँन्द्र शो निकल़्दे देखो, जैथ्के दष शींगों गाशी दष राज मुँकुट-ताज, अरह् तैथ्के मुँढों गाशी पंण्मिश्वर की चूगली के नाँव लिखें अंदें थिऐ, Faic an caibideil |
औरौ मोऐं किछै दैखौ जिथकै चौड़ाए समुन्द्र कै जैशणै थी, ऐजै आग मिलेयौंदे शीशै कै जैशणै दैखियौं थै। औरौ तैसी समुन्द्र कै किनारे पांदी जू शीशै कै जैशणा थिया, मोऐं बौहितै लोगौ कै खौड़ै हौएयौंदै दैखै। सै सैजै लोग थिए जिनुवै तिथु राकस कै हराए राए थियु, जिथुकै तिनुऐ तिथकै पूजा कौरणौ शै मौना कौरे दियु थियु, तिनुऐ तिथकै मूर्ती कै पूजा कौरणौ शै औरौ तैसी नम्बर का निशान छपवाणौ शै मौना कौरे दियु थियु जिथका मतलब तिथकौ नांव औसौ। सैजै हौराणौ वाल़ै तैसी समुन्द्र कै किनारे खौड़ै थिए, तिनुऐ तिनु तारवाल़ै गाजै-बाजै कै पाकड़ै राए थिए जू तिनु पौरमेशवर कै ढौबौशै दैय राए थिए।