प्रकाशितवाक्य 1:18 - सिरमौरी नौवाँ नियम18 हांव एकबेई मौरे गौआ थिया पौरौ ऐबै हांव जियुंदी औसौ औरौ हांव हमैशा जियुंदी रौंदा। दैख हांव युग-युग जियुंदी औसौ; मुंकैई मौत औरौ पताल़ की चाबी औसौ।” Faic an caibideilSirmouri18 हाँव जीऊँदी असो; हाँव मँरी गुवा थिया, परह् ऐबे देखो, हाँव ज़ूगौ-ज़ूगौ तोड़ी जीऊँदा असो; अरह् मंऊँत्ती अरह् अंधलोक की ताल़ी-कुँन्जी मेरे हंक-अधिकार दी असो। Faic an caibideil |
सैजै सौब लोग जिनकै नांव जीवन कै किताब दो ना लैख राए थै, तिनु आग कै झील दै बैगाए दियै। इथकै बाद, ऐबै मौत ना आथी, ऐबै मौरेयौंदे का कुणजाई ठाँव ना आथी, जिथुकै सैजै सौब लोग जिनकै नांव जीवन कै किताब दै ना लैखै रैई थिए तिनु आग कै झील दै बैगाए दियै। इथुकै ही औकै मौत बौल़ै जांव, औरौ आग कै झील कै सौजा कै मौत बौल़ै जांव।
तोबै मोऐं ऐक पियौल़ा घोड़ा दैखा; घोड़े की शवारी कौरणौवाल़ै का नांव मौत औसौ। औरौ अधोलोक तैसकै पौछौड़ियौ-पौछौड़ियौ चालै रौआ थिया। औरौ तिनु धोरती पांदी रौणौवाल़ै हरेक चार लोगौ मुंजीदै ऐकी खै मारणौ का औधिकार भैटा। तिनुऐ तिनु तलवार शै मारै दियै, तिनुऐ तिनु भूख लैई मारै दियै, तिनुऐ तिनु बुरी-बुरी बीमारी शै मारै दियै, औरौ तिनुऐ तिनु जोंगली जानवरो शै बै मोरवाए दियै।