9 ऐजी बात साच्ची, अरह् हर ढंग शी माँनणों ज़ूगी असो।
9 ऐजी बात साची औसौ, औरौ हर भान्त शै मानणौ कै लायक औसौ।
तेस्के मालिके ऐ बुलो, ‘भागोईत असो! आछा अरह् बिश्वाष ज़ुगा दास, तू थोड़े दा बिश्वाष ज़ुगा रूवा; हाँव ताँव भहिती चीजों का अधिकारी बणाँऊँबा। आप्णें मालिक की गईलो आँनन्द-खुशी दा भागींदार हो।’
ऐजी बात साच्ची, अरह् माँन्णों ज़ूगी असो, के मसीया यीशू पापियों का मुँक्त्ति देंदे दुनियाँ दे आऐ, जिनू पापी मुझी हाँव सोभी शा बड़ा असो।