उ बखत सूरज, चन्द्रमा और तारा में अद्धभुत चिन दिखाई द्याला, और धरती में देश-देशा का लोगून में संकट होलो, क्याखिनकि उन उफनता समुन्द्रा का लहरून का कारण लोग घबरा जाला।
तभै मैंले एक आजि छयूं स्वर्गदूत स देखछ्य जो, जो वेदी में आगा ले धूप जलूना को जिमेदारी निभूछो। उले जोर-जोरले चिल्ला भेरन उ स्वर्गदूत थैं जैका पास धारदार आँसी छी उ क्योछ, “धरती में अंगूरा का गुच्छा पाक ग्यान! उनून अपून आँसी ले काट ले।”
जब मेम्ना ले छठवीं मुहर खोलछ्य, त मैंले देखछ्य कि एक भौत ठूलो भूचाल भ्योछ; सूर्य को रंग कालो कामोलो जसो कालो रंग में बदल ग्यो और पुर चंद्रमा को रंग खून को जसो लाल हो ग्यो।
चौथ स्वर्गदूत ले चौथी तुरी बजाछ, और सूरज को एक तिहाई, और चाँद को एक तिहाई और तारान को एक तिहाई में टकराछ, याँ तक कि उनोरो एक तिहाई हिस्सा अन्यारो हो ग्यो और दिन को एक तिहाई में उज्यालो नै र्यो, और उसीकैं रात में ले।