“हर एक आदिमी पैलि बड़िया किस्म को अंगूर को रस दीछो, और जब लोग पीभेरन छक हो जानान, तब घटिया किस्मो को रस दीछो; लेकिन तैले ऐल तक बड़िया अंगूरो को रस राख रैछ।”
आ हम लोगून का नियाती जिन शुरू कर दीया, जो उज्याला में रूनान लेकिन अन्यारा में नै। हमून नै रंगरलियों में, और पियक्कड़पन में, नै ब्यविचार में, और नै लुचपन में, और नै झगड़ा और डाह में जीन्दगी जिन चैछी।
तुम सतर्क होज्या, और पाप करून छोड़ दी; किलैकी तुमूनमें भटे थ्वाड़ा लोगून को परमेश्वरा का दगाड़ ठीक रिशता नाहातिन, मैं तुमून शर्मिन्दा करून खिन यो कुंछूँ।
उनोरो विनाश उ नुकसानो को ईनाम छै जो उनूनले करछ्य। उनून छकाला दिन तक बुरा सुख-विलास में पड़ीनाको रून पसन्द करनान। उन तुमार बीच एक कलंक और दाग छन और तुम लोगून का दगाड़ खान-पिन बखत उनून कपटी बात करून में खुशी हुछी।