अउं तुसी जे बोता कि जे कोउं इस फाट जे बोलाल, ‘तु उखिड़ गा, त तथ अन्तर झड़’, होर अपु मन अन्तर धिक बि शक न कता, पर पूरा विश्वास कता कि तेन जे बोलो असु, से जरूर भुन्तु, तेस जे तिहांणि भुन्तु।
तेन्हि अम्बर बन्न करणे हक असा कि तेन्के भविष्य वाणि करणे दिनि अन्तर कदी बि मेघे ना लौती लगो। होर तेन्हि सोब पुओणि पुठ बि हक असा कि तेस लहु बणाल। होर जपल जपल से चहेल तपल तपल धरती पुठ बुखता लंघाई बटते।