2 त तिखेईंए अउं शुची आत्माई बेलिए भरी गा; त हेरता कि यक सिंहासन स्वर्ग अन्तर रखो असा, त तेस सिंहासन पुठ कोउं यक बिशो असा।
त तेन तेन्हि केआं पुछु, “त राजा दाऊदे पूजाई टेम, शुची आत्माई तस ‘मसीह’ जे ‘प्रभु’ बोलुण जे किस बोलु? धरमे कताब अन्तर लिखो असु,
अब जे बोके अस तुसी बताण लगो असे, तेन्हि अन्तर सोबी केईआं बोडी बोक ई असी कि यीशु हें यके ईं बोडा पुजारा असा, जे स्वर्ग पुठ परमेश्वरे सिंहासने देहणा कना घेई बिशो असा।
प्रभु रोज अउं शुची आत्माई जुए भरी गा, त अपु पतूं, जीं रेशमि लम्मी अवाजे ईं ई बोती शुणी,
तेन कुआ जमाणा, जेस बोडा भोई कइ लोहिए लेउडी बइ सोब जाति पुठ राज करण असा। पर तेस राकस केआं पेहलाई, अजगता से कुआ टाइ कइ परमेश्वरे त तसे सिंहासने भेएड़ पुजेई गा।
तोउं अउं शुची आत्माई बेलि भरी गा, होर से स्वर्गेदूत आत्मा अन्तर मोउं अरुणि धार घिन गा। तठि मेईं लाल रंगे खतरनाक जानवर पुठ यक वेश्या जिल्हाणु बिशो काई। तेस जानवरे सत मगिर त दस शंग थिए, होर तसे पूरे जिसम पुठ परमेश्वरे बुराई करणे बाड़े शब्द लिखो थिए।
तोउं से चोबिहो स्याणी त चोहरो जीव सिंहासन पुठ बिशो परमेश्वरे समाणि उटेऊ बिश कइ खुर बिने, त बोलुण लगे, “आमीन, हाल्लेलुयाह!”
फि मेईं यक हच्छा रंगे बोडा सिंहासन काआ त से काआ, जे तेस पुठ बिशो असा। तसे समाणि केआं धरती त अम्बर नश गे, त तेन्हि नियोकण जे कोठि जगाह ना मेई।
तोउं से मोउं आत्मा अन्तर यक मोटे फाटे चोटि पुठ घिन गा, होर से शुचा शेहर यरुशलेम परमेश्वरे भेएड़ा, स्वर्ग केआं उन्निया जे एन्ता हराला।
जे सिंहासन पुठ बिशो थिआ, तेन बोलु, “हेर! अब अउं सोब किछ नोउ करण लगो असा”। फि तेन मोउं जे बोलु, “लिख छड़, किस कि ए जे बि बोली गो असु, से यकीन लेएक त सच्ची असी।”
“जे जीतते, तेन्हि अउं अपफ जोई साते अपु सिंहासन पुठ तिहांणि बिशणे हक देन्ता, जीं अउं बि जीत कइ अपु बोउ जोई साते, तसे सिंहासन पुठ बिश गो असा।
तपल तपल चोबिहो स्याणे सिंहासन पुठ बिशणे बाड़े समाणि उटेऊ झड़ घेन्ते, होर जे जुग जुग जीन्ता असा, तसे खुर बिन्ते। से अपु अपु मुकुट सिंहासने सम्हाणि ईं बोते छड़ देन्ते कि
तेस सिंहासन अन्तरा बिजली चमकती त मेघ गड़कुणे त होरी होरी डरौणी अवाज निस्ती। तेस सिंहासने सम्हाणि सत दीये जाओ असे। से परमेश्वरे सत आत्मा भो।
जपल जपल बि से जीव तसे, जे सिंहासन पुठ बिशो असा, होर जुग जुग जीन्ता असा, महिमा, इज्जत त धन्यवाद कते,
जे सिंहासन पुठ बिशो थिआ, मेईं तसे देहणे हथ अन्तर यक कताब काई, जे अन्तरा त बाहरा लिखो थी, त से सत मुहर लाई कइ बन्न किओ थी।
फि मेईं स्वर्ग अन्तर, धरती पुठ, धरती पड्डे त समन्दरे त सम्हाई किछ जे तेस अन्तर असु, ईं घीत लान्ते शुणे, “तु ए परमेश्वरा, जे सिंहासन पुठ बिशो असा तें त तेस किएऊ धन्यवाद, इज्जत, महिमा त राज्य जुग जुग भुन्ता रिहे!”
होर फाटी त पलणी जे बोलुण लगे, “असी पुठ झड़े त असी तेस केआं जे सिंहासन पुठ बिशो असा, होर किएऊ लेहेर केआं नियोकाण दिए;