से मेह्णु चौड़ा भोई गो असा त तस अपफ पता नेईं कि से मेह्णु की की शिचालता। पर तस कुछ शब्द पुठ झगड़ीणे बीमारी लग गो असी, जेसे बेलि जड़ण, लड़ाई, बुरी बोक त होरी पुठ झूठा बेहेम पैदा भुन्ता।
इहांणि, ए जवानों! तुस बि सतसंगे स्याणी के वश अन्तर बिशे। पर तुस सोब के सोब होरी केईआं अपफ जे घट समझे, किस कि धरमे कताब अन्तर लिखो असु कि “परमेश्वर घमण्डी के विरोध कता। पर जे अपफ जे घट समझते, तेन्हि पुठ दाह दया कता।”