प्रकाशितवाक्य 9:17 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान17 मुखा शुझुऐ घोल़ै और तिन्नें इहै शुंआर, तिन्नें हीकबंद तै आगी और धूम्रकांत, और गंधका ज़ेही लाल, और तिन्नें घोल़े मूंड तै शेरे मुंडा ज़िहै और तिन्नें खाखा का निखल़ा ती आग, गंधक और धूँ। Faic an caibideilकुल्वी17 होर मुँभै घोड़ै होर तिन्हरै सवार ऐण्ढै हेरुऐ ज़ौसरी कवच औगी सांही होर धूम्रकान्त होर गन्धका सांही ती। तिन्हां घोड़ै री मुँडी शेरै री मुँडी सांही ती होर तिन्हरै मुँहा न औग, धुँआ होर गन्धक निकल़ा ती। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम17 होर महा एता रे दर्शना में त्याह रे एडे सबार हेरी थी ज़ासकी झिल्म आग होर गन्धका जेही, होर त्या घोडे रे शिंग शेरा रे मुड़ा जेहे थी होर त्या रे मुहा का आग होर गंधक होर धुँआ निखलद़दा थी। Faic an caibideil |
“पर ज़ुंण मुंह दी भरोस्सअ नांईं डाहे, तिंयां पाणै ज़ोरा-ज़ोरी तेऊ समुंदरा दी ज़ुंण गंधका करै ज़ल़ा, सह आसा दुजी मौत। अह इहअ नतिज़अ हणअ तिन्नां लोगो बी ज़ुंण होरी लोगा सम्हनै मेरअ नांअ लणै का डरा, ज़ुंण बूरै काम करा, ज़ुंण होरी मारी पाआ, ज़ुंण कंज़रैई करा, ज़ुंण ज़ादू करा, मुर्तिए पूज़ा करा और झ़ुठअ बोला।” (1 कुरिन्थी 6:9-10; इफिसी 5:5)