प्रकाशितवाक्य 22:15 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान15 पर बूरै करनै आल़ै, ज़ादू करनै आल़ै, कंज़रै, हत्या करनै आल़ै, मुर्ति पूज़ा करनै आल़ै और हरेक झ़ुठअ च़ाहणैं आल़अ और बोल़णैं आल़ै निं कधि नगरी दी डेऊई सकदै। Faic an caibideilकुल्वी15 पर कुतै टोणै, व्यभिचारी, खूनी, मूर्ति पूज़ा केरनु आल़ै होर झ़ूठा बै च़ाहणू आल़ै होर गलत केरनु आल़ै बाहरै रौहणा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम15 पर कुते होर टोहणे, होर व्यभिचारी, होर हत्यारे होर मूर्ति पूजा करन आले, हर एक झूठा का प्रेम करन आले होर गढ़न आले बागे रहणे। Faic an caibideil |
“पर ज़ुंण मुंह दी भरोस्सअ नांईं डाहे, तिंयां पाणै ज़ोरा-ज़ोरी तेऊ समुंदरा दी ज़ुंण गंधका करै ज़ल़ा, सह आसा दुजी मौत। अह इहअ नतिज़अ हणअ तिन्नां लोगो बी ज़ुंण होरी लोगा सम्हनै मेरअ नांअ लणै का डरा, ज़ुंण बूरै काम करा, ज़ुंण होरी मारी पाआ, ज़ुंण कंज़रैई करा, ज़ुंण ज़ादू करा, मुर्तिए पूज़ा करा और झ़ुठअ बोला।” (1 कुरिन्थी 6:9-10; इफिसी 5:5)