प्रकाशितवाक्य 21:27 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान27 तैहा नगरी दी निं कोई बी छ़ोतली च़िज़ा और च़िल़्हखरै काम करनै आल़अ या झ़ुठ बोल़णैं आल़अ केऊ बी साबै डेऊई सकदअ। पर सिधै तिंयां लोग सका तेथ डेऊई, ज़सरै नांअ मिम्मूं ज़िन्दगीए कताबा दी आसा लिखै दै। तेसा कताबा दी आसा तिधे तिन्नां लोगे नांअ ज़हा का सदा रहणैं आल़ी ज़िन्दगी आसा। (याशायाह 52:1) Faic an caibideilकुल्वी27 होर तेथा न कोई बुरी च़ीज़ होर घृणित कोम केरनु आल़ै, झ़ूठी गैला बनाणु आल़ै कौसी रीतियै दाखिल नी होंणा। सिर्फ़ तिन्हां लोका दाखिल होंणा ज़ौसरै नाँ मेमणै री ज़िन्दगी री कताबा न लिखुऐ सी। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम27 होर तेता में कोहे भी अशुद्ध चीजअ या घृणित कामा करन आले, या झूठ बोलण आले, कासी भी रीति संघे नाई इछी सकदे, पर सिर्फ त्या लोका जासके ना मेमने री जीबना री कताबा में लिखी दे साहा। Faic an caibideil |
तेखअ भाल़ै मंऐं मूंऐं दै लोग, कै होछ़ै कै बडै तिंयां तै राज़गादी आजू खल़्हुऐ दै। ज़ुंण मूंऐं दै लोग समुंदरै आसा डुबै दै, ज़ुंण मरी करै घोरी आसा दाबै दै, तिंयां सोभै लोग ज़ुंण मूंऐं दै रहणें ज़ैगा आसा तिंयां सोभ खल़्हुऐ राज़गादी सम्हनै। तेखअ खोल्ही तिधी ज़िन्दगीए कताब और होर बी कई कताबा। मूंऐं दै मणछो न्याय हुअ तिन्नें तेसा कताबा दी लिखै दै तेते साबै ज़ुंण तिन्नैं आपणीं ज़िन्दगी दी किअ। तिन्नों न्याय हणअ तिन्नें कामें साबै। (दानिएल 7:10)
“पर ज़ुंण मुंह दी भरोस्सअ नांईं डाहे, तिंयां पाणै ज़ोरा-ज़ोरी तेऊ समुंदरा दी ज़ुंण गंधका करै ज़ल़ा, सह आसा दुजी मौत। अह इहअ नतिज़अ हणअ तिन्नां लोगो बी ज़ुंण होरी लोगा सम्हनै मेरअ नांअ लणै का डरा, ज़ुंण बूरै काम करा, ज़ुंण होरी मारी पाआ, ज़ुंण कंज़रैई करा, ज़ुंण ज़ादू करा, मुर्तिए पूज़ा करा और झ़ुठअ बोला।” (1 कुरिन्थी 6:9-10; इफिसी 5:5)