प्रकाशितवाक्य 17:4 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान4 एसा बेटल़ी तै बैंज़णीं और लाला रंगे झिकल़ै बान्हैं दै। सह आसा ती सुन्नैं और किम्मती मणीं और मोती करै सज़ी दी। तेसे हाथै ती एक सुन्नें लोहदी ज़ुंण च़िल़्हखरी च़िज़ा और तेसे कंझ़रनेए छ़ोता लागणै आल़ी च़िज़ा करै ती भर्हुई दी। Faic an caibideilकुल्वी4 ऐ बेटड़ी बैंजनी होर लाल झिकड़ै लाइया ती होर सुनै, कीमती मणी होर मोतियै लाइया सज़ी ती होर तेसरै हौथा न सुनै रा एक कटोरा ती ज़ो घृणित च़ीज़ै लाइया होर तेसरै व्यभिचारै री छ़ोतली च़ीज़ै लाइया भौरूआन्दा ती। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम4 एसा बेटडी वैगनी होर लाला रगा रे झिकड़े बानी दे थी, होर सुने होर बहू मेंहगी मोति संघे सजी दजी दी थी, होर तेसके हाथे सुने रअ कटोरअ थी, जोह घृणित चिजा कअ होर तेसके ब्यभिचार अशुद्ध विचारा संघे भरु दअ थी। Faic an caibideil |