प्रकाशितवाक्य 11:2 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान2 “पर मांदरे बाघलै खोल़ै छ़ाडै, तेऊ निं नापी, किल्हैकि सह आसा तिन्नां लै दैनअ द ज़हा का परमेशरो थोघ निं आथी। तिन्नां करनअ मेरी पबित्र नगरी दी बयाल़ी भिन्नैं तैणीं राज़। Faic an caibideilकुल्वी2 होर मन्दिरा रा बाहरी आँगन छ़ौड़ी दै, तेइबै मत नापदा किबैकि सौ तिन्हां लोका बै धिना सा ज़ो परमेश्वरा बै नी ज़ाणदै होर तिन्हां पवित्र नगर ब्यालीस म्हीनै तैंईंयैं रौंदणा।” Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम2 पर मन्दिरा रे बागले खोले छाड़अ, तेऊ नांई नापे किबेकि सह अन्यजाति वै दीनदअ साहा होर त्याह पवित्र जागहा नगरा वै बताली महीने तणी आटणे। Faic an caibideil |