मत्ती 5:45 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान45 “इहअ करै हणैं तम्हैं आपणैं स्वर्गे बाप्पू परमेशरे लुआद। किल्हैकि सह दैआ भलै और बूरै दुही लै सुरज़ो धुपअ, और धर्मीं और पापी दुही लै बरशाऊआ पाणीं। Faic an caibideilकुल्वी45 ऐण्ढा केरनै सैंघै तुसै स्वर्गीय बापू री औलाद बणना किबैकि सौ भलै होर बुरै दुही लोका पैंधै धुपा भेज़ा सा होर तिन्हां दुही बै बराबर गाश देआ सा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम45 जासू का तमा आपणे स्वर्गीय बापू रे शोहरू ठहरने किबेकी सह भले होर बुरे दुही लोका पैंदे आपणें सूरज उदय करा, होर धर्मी होर अधर्मी दुही लोका बै पाणी दींदा । Faic an caibideil |
“पर तम्हैं करै आपणैं दुशमणा लै बी झ़ूरी, तिन्नां लै बी सोठणअ भलअ। सट-धुआर दैई करै बापस एछणें आशा निं डाहणीं। तै भेटणअ तम्हां तेतो परमेशरा का फल और तै हणैं तम्हैं परम प्रधान परमेशरे शोहरू किल्हैकि सह करा तिन्नां लै बी क्रिप्पा ज़ुंण बूरै आसा और परमेशरो अदर बी निं करदै। (लेबी बधान 25:35-36; मत्ती 5:44-45)