मत्ती 5:30 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान30 “ज़ै तेरै हाथा करै पाप हआ, तेता करै पाप करने पाआ छ़ाड। च़ाऐ ताह सह काटणअ किल्है निं पल़े। ताल्है आसा इहअ ई भलअ कि तेरअ एक्कै हाथ हणअ तेरी देही का बरैबाद। ताकि तेरी सारी देही ता निं डेऊणीं नरका दी। Faic an caibideilकुल्वी30 अगर तेरा दैहिणा हौथ तौभै ठोकर खियाए, तौ न पाप करा सा ता तू तेइबै काटिया शेट किबैकि तेरी तैंईंयैं ऐ भला सा कि तेरै एकी औंगा न एक नाश होला होर तेरा सारा शरीर नरका नी पौड़ला।” Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम30 अगर तेरअ धुरअ हाथ ताहबे पापा री बजाह बणा, तेबा तेऊ काटी करे फेकी दे; किबेकि ताहब यह भला साहा कि तेरे अंगा मेज़ा का एक नष्ट होए होर तेरा सारा शरीर नरका में नांई पड़े। Faic an caibideil |