मत्ती 26:70 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान70 पतरसै किअ तिन्नां सोभी सम्हनै इहअ बोली करै नांईं, “तूह किज़ै बोला मुखा निं किछ़ी गल्लो थोघ आथी?” Faic an caibideilकुल्वी70 तेइयै सैभी सामनै नाँह केरू, कि “हांऊँ नी ज़ाणदा कि तू कि लागी सा बोलदी?” Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम70 तेऊ सभी रे सामने यह बोलदे नांई करू, हाऊं नांई ज़ाणदअ कि तांई कैह लाईदी। Faic an caibideil |
“पर ज़ुंण मुंह दी भरोस्सअ नांईं डाहे, तिंयां पाणै ज़ोरा-ज़ोरी तेऊ समुंदरा दी ज़ुंण गंधका करै ज़ल़ा, सह आसा दुजी मौत। अह इहअ नतिज़अ हणअ तिन्नां लोगो बी ज़ुंण होरी लोगा सम्हनै मेरअ नांअ लणै का डरा, ज़ुंण बूरै काम करा, ज़ुंण होरी मारी पाआ, ज़ुंण कंज़रैई करा, ज़ुंण ज़ादू करा, मुर्तिए पूज़ा करा और झ़ुठअ बोला।” (1 कुरिन्थी 6:9-10; इफिसी 5:5)