मत्ती 25:44 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान44 “तेभै दैणअ तिन्नां मुल्है ज़बाब, ‘हे प्रभू हाम्हैं कधू भाल़अ तूह भुखअ, नचिशअ, नांगअ, परदेसी बमार या कैद खानै दी, और कधू निं हाम्हैं तेरी सेऊआ टैहल की?’ Faic an caibideilकुल्वी44 “तैबै तिन्हां ज़वाब देणा, ‘ओ प्रभु, आसै कैबै तू भूखा, शोखा, परदेशी, नाँगा, बीमार होर कैदखानै न हेरू ज़ो तेरी सेवा टहल नी केरी?’ Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम44 तेबा त्या उतर दींणा, हे प्रभु, हामें तूह कधू भोछो, या शोखो, या परदेशी या नेगअ या बमार या जेला में हेरु, होर तेरी सेवा ठहीले नांई करी? Faic an caibideil |