मत्ती 19:5 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान5 “एते ई बज़्हा रहणैं तिंयां आपणैं आम्मां-बाप्पू का ज़ुदै ज़िहै आपणीं बेटल़ी संघै, और तिंयां दूई हणैं एक देही? Faic an caibideilकुल्वी5 ‘एसा बजहा न आपणै आमा-बापू बै छ़ौड़िआ मर्दा आपणी लाड़ी सैंघै एक देह होईया रौहणा’ Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम5 एउ बजा का मणश आपणे आमा बापू का अलग होई करे आपणी बेटड़ी संघे रहंणे होर त्या दुही रअ एक शरीर हूँणा? Faic an caibideil |