मत्ती 19:12 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान12 कई आसा हुऐ ज़ल्मां ओर्ही दपुर्षअ। कई आसा इहै ज़ुंण मणछै आसा दपुर्षै बणांऐं दै। पर कई आसा इहै ज़ुंण स्वर्ग राज़ा लै आसा दपुर्षै बणैं दै। ज़ुंण एसा गल्ला मनी सका सह मनें।” Faic an caibideilकुल्वी12 किछ़ ऐण्ढै सी ज़ो आपणी आमै रै पेटा न ऐ खुसरै पैदा हुऐ सी। किछ़ ऐण्ढै सी ज़ो लोकै खुसरै बणाऐ होर किछ़ ऐण्ढै सी ज़ुणियै स्वर्ग राज्य री बजहा न ब्याह नी केरनै रा फैसला लेऊ सा। ज़ुण ऐई उपदेशा बै ग्रहण केरी सका सा केरला।” Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम12 किबेकि कुछ नपुंसक एडे साहा, जोह जन्मा का ही एडे जन्मी; होर कुछ नपुंसक एडे साहा, जूणा मणशे नपुंसक बणाई; होर कुछ नपुंसक एडे साहा, जूणी स्वर्गा रे राज्य री तणी आपणे आपा बे नामर्द बणाई। जोह एउ ग्रहण करी सका, सह ग्रहण करे। Faic an caibideil |
ईंयां आसा तिंयां ज़ुंण इहै मणछा ज़िहै पबित्र आसा ज़ुंणी कधि कंज़रैई निं की, इहै ई तिन्नैं निं मिम्मूं का सुआई होरी कोहिए पूज़ा की। ज़िधा लै बी मिम्मूं डेओआ, तिंयां बी डेओआ तेऊ पिछ़ू-पिछ़ू। तिंयां आसा तिंयां ई ज़ुंण पृथूईए सोभी मणछा मांझ़ा का आसा बच़ाऊऐ दै। ज़िहै लोग तिन्नें फसला का पैहलअ फल़ परमेशरा लै दैआ, तिंयां बी आसा तिहै ई परमेशर और मिम्मूं लै पैहलै फल़ भैंट किऐ दै।