मत्ती 16:3 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान3 दोती बोला इहअ कि आझ़ एछणी ढिश बागर, किल्हैकि सरग आसा लाल और न्हैरअ। तम्हैं हेरा सरगे लछ़ण भाल़ी करै तेतो भेद खोज़ी पर ज़ुंण एभै आसा हंदअ लागअ द सह किल्है निं तम्हां का शुझदअ तेता करै किल्है निं तम्हां समझ़ एछदी कि परमेशर किज़ू करदअ आसा लागअ द? Faic an caibideilकुल्वी3 होर दोथी बोला सी कि “औज़ मौसम धुँधला रौहणा,” किबैकि सर्ग धुँधला होर लाल सा। तुसै सर्गा रै लछणा बै ज़ाणा सी पर बौगता री नशाणी होर लछणा बै किबै नी ज़ाणी सकदै? Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम3 होर दोती बे बोला, आज आँधी इहंणी, किबेकि सरग लाल होर धूमिल साहा। तमे सरगा रे चिन्ह हेरी करे तेऊरा फर्क खोजी सका, पर वक्ता रे भेदा किबे नांई खोजी सकते? Faic an caibideil |