मत्ती 10:28 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान28 “तम्हैं निं तिन्नां का डरी आथी ज़ुंण थारी देही च़ाहा मारनअ, तिंयां निं थारी आत्मां मारी सकदै। पर डरनअ सिधअ तेऊ परमेशरा का ज़ुंण आत्मां और देही दुही सका नरकै बरैबाद करी। Faic an caibideilकुल्वी28 ज़ो देही रा नाश केरा सी, पर आत्मा रा नी, तिन्हां न मता डौरदै पर तेईन डौरा ज़ुण आत्मा होर देह दुही बै नरका न नाश केरी सका सा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम28 जोह शरीरा बे घात करा, पर आत्मा बे घात नांई करी सकते, त्याका नांई डरा, पर तेऊका ही डरा जोह प्राण होर शरीरा दुही नरका में नष्ट करी सका। Faic an caibideil |
कई बेटल़ी भेटै आपणैं मूंऐं दै भी ज़िऊंदै, कई रहै तेभै तैणीं मारा खांदै लागी ज़ेभै तैणीं तिन्नें मौत निं हुई, तिन्नां लै भेटै ईंयां दुख तै कि दुशमण बोला तै तिन्नां लै इहअ, “ज़ै तम्हैं परमेशरा दी विश्वास करनअ छ़ाडे तै सका हाम्हैं तम्हां लै छ़ुटकारअ दैई।” पर तिंयां निं आपणअ विश्वास छ़ाडी करै कैद खानै का छ़ुटणअ च़ाहंदै तै। किल्हैकि तिन्नैं समझ़अ पृथूई दी ज़िऊंणै का खास्सअ परमेशरा संघै सदा लै ज़िऊंदै रहणअ ठीक।