लुका 21:34 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान34 “एता लै रहै चतैन, इहअ निं हआ कि थारै मन पेठे कबाता और राल़ै-मताल़ै हई एसा संसारे ज़िन्दगीओ फिकर करी ढिलै होए, और सह धैल़ी एछा तम्हां लै नभैऊशै ज़िऊआ लै ज़ज़ाल़ ज़िहअ। Faic an caibideilकुल्वी34 “आपणा ध्यान रखा, तुसरा ध्यान दुनियै रै खाँणै पिणै होर ज़िन्दगी री मौज़ मस्ति न नी लोड़ी भटकु, होर ज़िन्दगी री चिन्ता न पौड़िया सुस्त नैंई लोड़ी हुऐ कि सौ ध्याड़ा तुसा पैंधै च़ानक फाँसी रै फन्दै सांही ऐला। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम34 तेबा जागदे रहा, एडा ना हो की थारे मने खुमार होर मतवालेपन, होर एउ जीबना री सोचा का सुस्त होए, होर सह धियाड तमावै फंदे साही एकदम ईछे। Faic an caibideil |