गलातियों 5:1 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान1 मसीहा आसा हाम्हैं मुसा गूरे बधाना का आज़ाद किऐ दै, हर बगत रहा आज़ाद किऐ दै लोगा ज़िहै बणीं। ऐबै निं भी तम्हैं बधाना मनणें गुलामीं दी पल़ा। Faic an caibideilकुल्वी1 मसीहै आसै मूसा रै बिधाना न आज़ाद केरू सा, आपणी आज़ादी न मजबूत रौहा होर दबारा मूसा रै बिधान मनणै री तैंईंयैं आपु बै गुलाम मता बणा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम1 मसीह हामा स्वतत्रता री तणी हामे आजाद करीदे आसा; एतकि तणी एता में स्थिर रहे, होर दासा रे जुए में भी नांई होर ना बूटा मे । Faic an caibideil |
मेरै पैरै साथीओ, हुंह आसा तम्हां लै तेसा नऊंईं ज़िन्दगीए बारै लिखणे कोशिश करदअ लागअ द ज़ेथ हाम्हैं सोभै साझ़ू आसा और ज़ुंण मसीहा ईशू बाती एछा। पर एभै च़ेतअ मंऐं इहअ कि हुंह दैंऊं तम्हां लै ऐहा च़िठी करै हौंसल़अ। हुंह करा तम्हां का अरज़ कि तम्हैं करा आपणैं विश्वासे रखबाली। परमेशरै आसा अह विश्वास एकी ई बारी और आपणैं सोभी लोगा लै दैनअ द ज़ुंण कधि निं बदल़दअ।