गलातियों 4:27 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान27 किल्हैकि पबित्र शास्त्रा दी आसा याशायाह गूरै लिखअ द, (याशायाह 54:1) “हे बांढी बेटल़ीऐ, तूह ज़सरै लान्हैं निं आथी, खुशी मनाऊं। ताह ज़हा सूंणें दाहो थोघ निं आथी, गल़ खोल्ही करै कर ज़ै-ज़ैकार, किल्हैकि छ़ाडी दी बेटल़ीए लान्हैं आसा सुहागणीं बेटल़ीए लान्हैं का खास्सै।” Faic an caibideilकुल्वी27 किबैकि शास्त्र बोला सा, “हे बांढी बेटड़ी, तैं ज़ो कैधी शोहरू पैदा नैंई केरू, तैं ज़ो कैधी शोहरु पैदा केरनै री दाह महसूस नैंई केरी, खुशी मना, खुशी सैंघै लेरा मारिया जय-जयकार केर, किबैकि छ़ौड़िदी बेटड़ी री औलाद सुहागणै री औलाद न बड़ी सा।” Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम27 किबेकि लिखू दा साहा, हे बाँझ, तूह जोह नांई ज़ाणदी, सुईन्दी मज़ा कर; तूह जासु बे दाह नांई चकती; गला खोली करे जय-जयकर करे, किबेकि छाडी दी सन्तान सुहागिना री सन्ताना का भी बडी साहा। Faic an caibideil |