शधाणूं 28:27 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान27 किल्हैकि इना लोगो मन आसा काठअ और इने कान आसा गरकै हुऐ दै। इनै आसा आपणीं आछी बंद डाही दी करी। इहअ निं हआ कि तिंयां आपणीं आछी का भाल़े, काना का शुणें और मना का समझ़े, और मुंह बाखा फिरे और हुंह तिन्नां राम्बल़ै करूं!’ Faic an caibideilकुल्वी27 किबैकि इन्हां लोका रा मन मोटा होर कोन भारी हुऐ सी। तिन्हैं आपणी औछ़ी बन्द केरी सी ऐण्ढा नी लोड़ी हुआ कि ते औछियै हेरलै होर कोनै शुणलै होर मना सैंघै समझ़िया पापा न फिरलै होर हांऊँ तिन्हां बै ठीक केरनु। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम27 किबेकी याह लोका रे मन मोटे होर कंणेट गरखे होई, होर त्याहे आपणी आछी बंद करी दी, एहडा ना हो कि त्याह कंही आछी का हरे होर कंणेटा का शुंणे, होर मना कअ समझे होर फिरे, होर हाँऊ त्याह चागे करू। Faic an caibideil |