शधाणूं 28:2 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान2 तिन्नैं ज़ंगली लोगै की हाम्हां लै नुआहरी झ़ूरी। किल्हैकि हिंऊंदे धैल़ै त सरग लागअ द और शेल़ै-ठांढै ज़ाल़ी तिन्नैं हाम्हां सोभी लै आग और हाम्हैं डाहै आप्पू सेटा। Faic an caibideilकुल्वी2 होर तिन्हैं जंगली लोकै आसा पैंधै बड़ी दया केरी किबैकि तिन्हैं गाश होंणै री होर ठण्ड होंणै री बजहा न आसाबै औग सुलगाइया आसरा स्वागत केरू। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम2 होर त्याह निबासी लोका हामा पैंदे अनोखी भलाई करी; किबेकी बादला री बजा का जोह बरसदअ, लागअदअ होर शेले री बजा का त्याहे आग जाली करे हामे सभे ठहराई। Faic an caibideil |