शधाणूं 27:30 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान30 पर ज़ांऊं ज़हाज़ च़लाऊंणैं आल़ै ज़हाज़ा का ठुहर्नअ च़ाहा तै, और तिंयां आजू का लंगर पाणें भान्नै दी समुंदरै डोंगी थुआल़ी। Faic an caibideilकुल्वी30 पर ज़ैबै समुन्द्री ज़हाज़ च़लाणु आल़ा जहाज़ा पैंधै न भैगणा चाहा ती होर गलही न लँगर लाणै रै बहानै डोंगी न उतारी, Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम30 पर जेबा मल्लाह जहाजा का ठुरना चांहदा थी, तेवा त्याह किस्ती रे जेहुले हिसे का लंगरा रे बहाने किश्ती समुद्रा में काहडी। Faic an caibideil |