शधाणूं 23:6 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान6 तेखअ ज़ांऊं पल़सी का थोघ लागअ कि सभा दी केतरै फरीसी और केतरै सदुकी मणछ आसा ता तेऊ बोलअ ज़ोरै-ज़ोरै, “भाईओ, हुंह आसा फरीसी और फरीसी लोगे खांनदानी का, मूंऐं दै और मूंऐं दै मणछे आशा दी और मरी करै ज़िऊंदै हणें बारै आसा लागअ द मेरअ न्याय आसना सम्हनै मकदमअ हंदअ।” Faic an caibideilकुल्वी6 तैबै पौलुसै ऐ ज़ाणिया कि किछ़ सदूकी होर किछ़ फरीसी सी, बड़ी सभा न ज़ोरा सैंघै बोलू, हे भाइयो, हांऊँ फरीसी होर फरीसी रै खानदाना रा सा। मूँऐंदै री आशा होर मूँऐंदै न ज़िन्दै होंणै रै बारै न मेरा मुकदमा होंदा लागा सा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम6 तेबा पौलुसे यह जाणी करे कि एक दल सदूकियों होर दूजअ दल फरीसी रअ साहा, महासभा में पुकारी करे बोलू, हे भाईओ, हाँऊ फरीसी होर फरीसी रे बंशा रअ सा मुंएदे री आशा होर पुनरुत्थाना री बजह संघा मेरा न्याय हुंदा लागादा। Faic an caibideil |