शधाणूं 22:6 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान6 “ज़ांऊं हुंह हांढदी-हांढदी दमिश्क नगरी नेल़ पुजअ, ता इहअ हुअ खरै दपहरो बगत त और हेरा-हेरी च़मकी सरगा का सुरज़ा का बी खास्सै झ़ामणा आल़ी बिज़ल़ी मुंह फेर। Faic an caibideilकुल्वी6 “ज़ैबै हांऊँ च़लदै-च़लदै दमिश्कै शैहरा रै नेड़ पुजू, ता ऐण्ढा हुआ कि ध्याड़ी दपौहरै एकदम सर्गा न एक बड़ा प्याशा मेरै च़ोहू पासै च़मकू। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम6 जेबा हाऊं हांडदे-हांडदे दमिश्का सेटा पूजअ तेबा एडहा होऊ कि दोपहरा रे लगभग एका-एक बडा प्रयाषा सरगा का मेरे चहु तरफे चमकू। Faic an caibideil |