शधाणूं 21:25 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान25 “पर तिन्नां होरी ज़ातीए बारै ज़ुंणी विश्वास किअ, हाम्हैं दैनअ इहअ फैंसलअ करी करै तिन्नां लै इहअ समाद लिखी कि तिंयां मुर्ति लै बल़ी किऐ दै मासा और लोहू का और गल़ा का मरोक्कै दै मासा का और कंज़रैई का रहै दूर।” Faic an caibideilकुल्वी25 पर तिन्हां होरी ज़ाति रै विश्वासी लोका बै आसै ऐ लिखिया भेज़ू सा कि ते मूर्ति सामनै बलि केरेदै माँस होर लोहू न, गौल़ा घुटिया बलि केरूऐदै पशु रै माँसा न होर व्यभिचारा न दूर रौहा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम25 जखे तणी बुशाह करन आले होर अन्यजाति रा बिचार साहा हामे त्याहबे यह निर्णय लिखी करी भेजू दा साहा कि त्याह मूर्ति सेटा बलि रा मांस का, होर लोहू, का गलअ घोंटी दे मासा तथा ब्यभिचार का बचे । Faic an caibideil |