शधाणूं 21:1 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान1 ज़ांऊं हाम्हां तिन्नां का बिदा हई करै ज़हाज़ खोल्हअ, ता आज़री बात ढाकी पुजै हाम्हैं कोआस टापू ज़िधी हाम्हैं ज़हाज़ खल़अ किअ और दुजै धैल़ै रुदूस टापू और तिधा का पुजै पतरा टापू और सह ज़हाज़ त तिधी तैणीं। Faic an caibideilकुल्वी1 ज़ैबै आसै तिन्हां न विदा होईया जहाज़ा न रवाना हुऐ ता आसै सीधै कौस टापू न पुजै, होर दुज़ै रोज़ै आसा रूदुसा टापू पुजै, होर तौखै न आसै पतरा टापू न पुजै, Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम1 जेबा हामे त्याह का अलग होई करे जहाज खोलू, तेबा जयाछी वाता में कोसा ना रे शहरा में आऊए होर दूजे धयाडे रुदुस में होर तखा का पतरा (टापू) में। Faic an caibideil |