शधाणूं 15:29 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान29 तिंयां गल्ला आसा एही कि तम्हैं रहै मुर्ति लै बल़ी किऐ दै मासा और लोहू का और गल़ा का मरोक्कै दै मासा का और कंज़रैई का दूर। इना सोभी गल्ला का ज़ै तम्हैं दूर रहे, तै हणअ थारअ भलअ। खिरी हाम्हां सोभी बाखा तम्हां लै राज़ी-खुशी।” (मूल़ 9:4; लेबी बधान 3:17; 17:10-14) Faic an caibideilकुल्वी29 कि ते मूर्ति सामनै बलि केरेदै माँस होर लोहू न, गौल़ा घुटिया बलि केरूऐदै पशु रै माँसा न होर व्यभिचारा न दूर रौहा। इन्हां न दूर रौहलै ता तुसरा भला होंणा। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम29 कि तमे मूर्ति सेटा बलि रे मासा का होर लोहू का होर गलआ घोंटी दे मांसा का, होर ब्यभिचारा का दूर रहे। एता का दूर रहले तेबा थारा भला हूंणा। जेह तमा बे शुभ हो। Faic an caibideil |
“पर मुखा शुझुई ताह दी एही गलती कि ताह सेटा आसा कई इहै, तूह निं तिन्नां लोगा आप्पू का दूर करदी ज़ुंण बलाम गूरा ज़ेही झ़ुठी शिक्षा दैआ। बलाम गूरै किऐ तै बलाक राज़ै का बोली करै इस्राएली लोग पाप करना लै मज़बूर। तेऊ दैनी ती तिन्नां लै मुर्ति सेटा किऐ दै बल़ीदान की दी च़िज़ा खाणें शिक्षा और कंज़रैई दी ज़िऊंणां लै। (2 पतरस 2:15; गणांई 31:16)