शधाणूं 11:5 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान5 “हुंह त लागअ द याफा नगरी प्राथणां करदअ, और नर्तान हई करै भाल़अ एक बडी च़ादरा ज़िहअ बडअ तराणअ आसा च़ऊ कुंणी का राशै करै बान्हअ द, सह च़ुंढुअ सरगा का पृथूई बाखा लै ज़िधी हुंह त। Faic an caibideilकुल्वी5 हांऊँ याफा नगरा न प्रार्थना केरदा लागा ती, होर बैहोश होईया एक दर्शन हेरू, कि एक बड़ी च़ादरी सांही च़ोहू कुणै न लटकाउआदा सर्गा न उतरिआ मूँ हागै आऊ। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम5 हाँउ याफा में प्रार्थना करदअ लागअदअ थी होर बेसुध होई करे माए एक दर्शन हेरू की, एक पात्र बड़ी चादरा रे समान, चहु कूणे लटकीदी, सरगा का ऊतरी करे माहा सेटा बे आऊई। Faic an caibideil |