2 कुरिन्थी 6:5 - बाघली सराज़ी नऊंअ बधान5 कोल़े मार खाई करै, कैद हई करै, हाल्लै-गोल्लै मांझ़ै, मैन्था संघै, बिहुदै रही करै, भुखै रही करै, Faic an caibideilकुल्वी5 कोड़ै खाँणै न, जेल होंणै न, हुलल्ड़ो न, ज़ागदै रौहणै न, भूखै रौहणै न। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम5 हामे कोडे खाई करे, जेला में पाई, बहु लोके हामा बे गाली दीनी, हामे बहु मेहनत करी, हामे राची बयाते रही, होर भोछे भी रही, Faic an caibideil |
विश्वासा दी ज़ुंण थारै सैणैं आसा तिन्नें शूणां ज़िहअ तिंयां बोला, और रहा बी तिन्नें डरा हेठै, किल्हैकि तिंयां आसा थारी हेर-सभाल़ करदै लागै दै कि तम्हैं कबाता नां पेठे। तिन्नां लागा आपणैं कामों साब-कताब परमेशरा का दैणअ, कि तिंयां एऊ कामां खुशी-खुशी करे नां कि दुखी हई करै। नांईं ता तम्हां निं किछ़ै फाईदअ हणअ। (1 थिस्सलुनी 5:12-13; शधाणूं 20:28)